Jharkhand सरकार ने स्कूली शिक्षा में सुधार के लिए बड़ा कदम उठाते हुए दिल्ली मॉडल को अपनाने का फैसला किया है। सरकारी स्कूलों को दिल्ली के स्कूलों की तर्ज पर विकसित किया जाएगा।
इसके लिए राज्य सरकार एक स्वतंत्र एजेंसी नियुक्त करेगी, जो स्कूलों का मूल्यांकन कर विकास के लिए जरूरी संसाधनों की सूची तैयार करेगी और शिक्षा विभाग को रिपोर्ट सौंपेगी।
Jharkhand News: एजेंसी का कार्य और टीम
झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद (JEPC) ने स्कूलों की रैंकिंग और मूल्यांकन के लिए पेशेवर एजेंसी की नियुक्ति का टेंडर जारी किया है। इस टीम में 10 वर्षों के अनुभव वाला एक प्रोजेक्ट डायरेक्टर, एक एमबीए प्रोजेक्ट मैनेजर, शिक्षक प्रशिक्षण विशेषज्ञ, और डेटा एनालिस्ट शामिल होंगे। यह टीम स्कूलों के साथ शिक्षकों की योग्यता और प्रशिक्षण का भी मूल्यांकन करेगी।
Jharkhand News: दिल्ली मॉडल की विशेषताएं
दिल्ली के शिक्षा मॉडल में स्वच्छता, शौचालय, शिक्षकों की ट्रेनिंग, और गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों की कमी जैसे पहलुओं पर ध्यान दिया गया है। इसके तहत सरकारी स्कूलों के भवनों को निजी स्कूलों की तर्ज पर तैयार किया गया और शिक्षकों को नियमित प्रशिक्षण दिया गया। मानसिक स्वास्थ्य के लिए ‘हैप्पीनेस पाठ्यक्रम’ और कक्षा 9-12 के लिए उद्यमशीलता पाठ्यक्रम जैसे उपाय शामिल हैं।
Jharkhand में चुनौतियां
राज्य में स्कूलों के बुनियादी ढांचे और शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर गंभीर समस्याएं हैं। रिपोर्ट के अनुसार, प्राथमिक विद्यालयों में एक शिक्षक औसतन 50 छात्रों को पढ़ा रहे हैं, और कई स्कूलों में बिजली, शौचालय, और पेयजल जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं।
शिक्षा मंत्री का दौरा
शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने बताया कि वे शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ दिल्ली का दौरा करेंगे और वहां के मॉडल को झारखंड में लागू करने का प्रयास करेंगे। उनका लक्ष्य सरकारी स्कूलों के बच्चों को भी निजी स्कूलों जैसी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है।