रांची | 1 मई 2025: जाति जनगणना को लेकर देशभर में जारी बहस के बीच AJSU पार्टी ने गुरुवार को रांची में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर विपक्ष पर जोरदार हमला बोला।
पार्टी के नेताओं ने कहा कि जाति जनगणना की घोषणा से इंडी गठबंधन की “हवा निकल गई है”, और कांग्रेस–झामुमो की कथनी और करनी में फर्क एक बार फिर उजागर हो गया है।
मनमोहन सिंह सरकार में क्यों नहीं हुई जनगणना? – AJSU का सवाल
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता डॉ देवशरण भगत, झारखंड आंदोलनकारी प्रवीण प्रभाकर और नेता संजय मेहता ने पार्टी मुख्यालय में मीडिया से बात करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस और झामुमो सच में जातीय जनगणना के पक्षधर होते, तो यूपीए शासनकाल में ही यह प्रक्रिया शुरू कर दी जाती। लेकिन उन्होंने इसे केवल एक राजनीतिक मुद्दा बनाए रखा और जनता को धोखे में रखा।
AJSU ने हमेशा किया आंदोलन, अब दिख रहा है असर
नेताओं ने कहा कि आजसू पार्टी ने राजग के घटक दल के रूप में जातीय जनगणना के लिए हमेशा आवाज उठाई और सड़कों से संसद तक आंदोलन किया। अब केंद्र सरकार द्वारा लिए गए फैसले को पार्टी एक ऐतिहासिक उपलब्धि मान रही है और इसे लागू करने में पूर्ण सहयोग देने की बात कही है।
जनजागरूकता अभियान चलाएगी AJSU
आजसू पार्टी ने यह भी घोषणा की कि वह राज्यभर में एक जनजागरूकता अभियान चलाएगी, ताकि समाज के सभी वर्गों को इस प्रक्रिया की महत्ता और संभावित लाभों के बारे में जानकारी दी जा सके। यह कदम जातीय गणना को केवल सरकारी प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक जनांदोलन का रूप देने की मंशा दर्शाता है।
सामाजिक न्याय का मार्ग है जाति जनगणना
डॉ भगत ने कहा कि जातीय गणना से सरकार को सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को पहचानने और शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, आवास जैसी योजनाओं में समान संसाधन वितरण की दिशा में ठोस योजना बनाने में मदद मिलेगी।
प्रवीण प्रभाकर ने इसे “सामाजिक न्याय का एक उपकरण” बताते हुए कहा कि यह गणना केवल आंकड़े इकट्ठा करने का काम नहीं करेगी, बल्कि यह बताएगी कि समाज के किन वर्गों को आज भी विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जाना बाकी है।
संजय मेहता ने विशेष रूप से झारखंड जैसे राज्य में इस फैसले को “अत्यंत महत्वपूर्ण” करार देते हुए कहा कि आदिवासी, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी समुदायों की यथार्थ स्थिति को समझे बिना राज्य का समावेशी विकास संभव नहीं है।



