Ranchi: झारखंड में CM Hemant Soren के लिए विश्वास मत हासिल करना तो आसान है लेकिन मंत्रिमंडल के गठन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
Hemant Soren News: विशेष सत्र 8 जुलाई को आयोजित होगा
झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र 8 जुलाई को आयोजित होगा, जिसमें हेमंत सोरेन सरकार सदन में विश्वास प्रस्ताव पेश करेगी. बहुमत का आंकड़ा हेमंत सोरेन सरकार के पक्ष में है इसलिए विश्वास मत हासिल करना कोई बड़ी चुनौती नहीं होगी. पांच महीने पहले 31 जनवरी को हेमंत सोरेन को ईडी ने गिरफ्तार किया था और उन्होंने चंपई सोरेन को राज्य की बागडोर सौंपी थी. जब हेमंत सोरेन को 28 जून को जमानत मिली तो किसी को यह उम्मीद नहीं थी कि वे इतनी जल्दी मुख्यमंत्री पद पर वापस आएंगे.
Hemant Soren ने चार जुलाई को शपथ ग्रहण कर ली
चंपई सोरेन ने पार्टी लाइन से इतर कोई मनमाना फैसला नहीं लिया था इसलिए उन्हें बदलने का कोई औचित्य नहीं था. लेकिन हेमंत सोरेन ने अचानक इंडिया ब्लॉक के विधायकों की आपात बैठक बुलाई और उन्हें नेता चुना गया. चंपई सोरेन से इस्तीफा देने को कहा गया और हेमंत सोरेन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया. उन्होंने चार जुलाई को शपथ ग्रहण कर ली.
कांग्रेस और जेएमएम के कई विधायक मंत्री बनने की बेताबी दिखा रहे हैं
हालांकि हेमंत सोरेन ने किसी को मंत्री के रूप में शपथ नहीं दिलाई. इसका कारण मंत्री बनने की उम्मीद पाले विधायकों की नाराजगी थी. चंपई सोरेन के मंत्रिमंडल में दो पद खाली थे जिनमें एक पहले से ही खाली था और दूसरा आलमगीर आलम की गिरफ्तारी और इस्तीफे के बाद खाली हुआ. कांग्रेस और जेएमएम के कई विधायक मंत्री बनने की बेताबी दिखा रहे हैं जिनमें जामताड़ा के विधायक डॉ. इरफान अंसारी भी शामिल हैं. यही वजह है कि विश्वास मत हासिल करने से पहले हेमंत सोरेन ने मंत्रिमंडल गठन का काम टाल दिया.
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विश्वासमत के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार होगा और यह देखना दिलचस्प होगा कि किसे जगह दी जाती है. उम्मीद है कि पुराने मंत्रिमंडल को ही बहाल किया जाएगा लेकिन दो खाली पदों पर किसे बिठाया जाएगा, इस पर माथापच्ची जारी है. यह निर्णय हेमंत सोरेन की सरकार के स्थायित्व और उनकी पार्टी के भीतर संतुलन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा. झारखंड विधानसभा में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को विश्वासमत हासिल करने में संख्या बल की दृष्टि से कोई परेशानी नहीं होगी.
कुल 82 सदस्यों वाली विधानसभा में चार विधायकों के सांसद निर्वाचित होने और सीता सोरेन के इस्तीफे के बाद विधायकों की संख्या 77 रह गई है. इसमें एक सदस्य स्पीकर की भूमिका में होंगे इसलिए 76 विधायकों के बीच ही विश्वासमत प्रस्ताव पेश होगा.
इंडिया ब्लॉक में अभी विधायकों की संख्या 47 है
विश्वासमत के लिए 39 विधायकों का समर्थन जरूरी है. जेएमएम के नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक में अभी विधायकों की संख्या 47 है जबकि एनडीए कैंप में सिर्फ 30 विधायक हैं. इसलिए Hemant Soren आसानी से विश्वासमत जीत सकते हैं. हालांकि जेएमएम विधायकों में चमरा लिंडा और लोबिन हेम्ब्रम को पार्टी ने निलंबित-निष्कासित कर दिया है इसलिए देखना होगा कि उनका रुख सदन में क्या रहता है. इस राजनीतिक परिदृश्य में हेमंत सोरेन का विश्वासमत हासिल करना लगभग तय है.
यह स्पष्ट है कि हेमंत सोरेन के पास पर्याप्त संख्या बल है लेकिन मंत्रिमंडल गठन और पार्टी के भीतर संतुलन बनाए रखना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा. विधानसभा में विश्वासमत जीतने के बाद हेमंत सोरेन के सामने अपनी सरकार को स्थिर और मजबूत बनाए रखने की बड़ी जिम्मेदारी होगी.
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