
Jharkhand सरकार ने केंद्र सरकार पर कोयला रॉयल्टी और विशेष सहायता अनुदान के 1.36 लाख करोड़ रुपये के बकाये की वसूली के लिए एक हाई पावर कमेटी गठित करने का निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सहमति के बाद यह समिति केंद्र सरकार से बातचीत के जरिए समाधान निकालने की दिशा में कदम बढ़ाएगी। यदि आवश्यकता पड़ी तो कानूनी मार्ग भी अपनाया जाएगा।
Jharkhand सरकार का रुख
राज्य के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने हाल ही में दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और कोयला मंत्री जी कृष्णा रेड्डी से मुलाकात कर बकाया राशि की मांग उठाई थी। केंद्र सरकार ने इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने का आश्वासन दिया था और कोयला मंत्रालय के अधिकारियों को राज्य सरकार के साथ समन्वय स्थापित करने का निर्देश दिया गया है।
Jharkhand News: बकाया राशि का विवरण
झारखंड सरकार के अनुसार, केंद्र सरकार पर निम्नलिखित मदों में राशि बकाया है:
- धुले कोयले की रॉयल्टी – 2,900 करोड़ रुपये
- खनिज उत्खनन पर बकाया – 32,000 करोड़ रुपये
- भूमि अधिग्रहण संबंधी बकाया – 1,01,142 करोड़ रुपये
- कुल बकाया राशि – 1,36,042 करोड़ रुपये
सहायता अनुदान में कटौती
झारखंड सरकार ने केंद्र द्वारा दिए जाने वाले सहायता अनुदान (Grants-in-Aid) में लगातार कमी पर भी चिंता जताई है। वित्त मंत्री ने आंकड़ों के माध्यम से बताया कि 2019-20 में 12,302.67 करोड़ रुपये के मुकाबले 2023-24 में यह घटकर सिर्फ 9,146.26 करोड़ रुपये रह गई।
2024-25 में झारखंड को 16,961.35 करोड़ रुपये की अपेक्षा थी, लेकिन दिसंबर 2024 तक केवल 4,808.89 करोड़ रुपये ही मिले। राज्य सरकार की शेष 12,152.46 करोड़ रुपये की दावेदारी बनी हुई है।
आगे की रणनीति
राज्य सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने हक की वसूली के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए विशेषज्ञों की सेवाएं भी ली जाएंगी। राज्य और केंद्र के बीच वार्ता के जरिए समाधान निकालने का प्रयास किया जाएगा, लेकिन यदि जरूरी हुआ, तो कानूनी विकल्प भी अपनाया जा सकता है।