
भाजपा सांसद Rajiv Pratap Rudy ने तेजस्वी यादव को ‘सूत्र’ शब्द पर दिए गए बयान को लेकर घेरा है और उन्हें अपने पिता लालू यादव से सीखने की सलाह दी है।
#WATCH | Delhi: On the special intensive revision (SIR) exercise of the voter list in Bihar, BJP MP Rajiv Pratap Rudy says, “If there is any Bangladeshi or someone from any other country in Bihar’s voter list, it is the responsibility of the Election Commission. The Commission is… pic.twitter.com/aiX9hzTPmS
— ANI (@ANI) July 14, 2025
क्या कहा Rajiv Pratap Rudy ने?
राजीव प्रताप रूडी ने कहा:
“जब लालू यादव बोलते थे, तो उनके बोलने में एक अलग ही आकर्षण, व्यंग्य और हास्य होता था। पत्रकार भी उनकी बातों में रुचि लेते थे। तेजस्वी को प्रभावी संवाद शैली के लिए अपने पिता से सीखना चाहिए।”
रूडी ने यह भी कहा कि:
“पत्रकार आपके विरोधी नहीं, बल्कि दोस्त होते हैं। उनके लिए इस तरह की टिप्पणी करना उचित नहीं है। ‘सूत्र’ तो होते ही हैं, हर बात सार्वजनिक नहीं की जाती।”
विवाद की जड़: ‘सूत्र’ शब्द पर तेजस्वी का तंज
तेजस्वी यादव ने हाल ही में एक मीडिया बयान में पत्रकारों पर कटाक्ष करते हुए ‘सूत्र’ के हवाले से आने वाली खबरों को लेकर व्यंग्यात्मक टिप्पणी की थी, जिसके बाद सियासी पारा चढ़ गया।
चुनाव आयोग और SIR पर Rajiv Pratap Rudy की टिप्पणी
राजीव प्रताप रूडी ने बिहार में चल रहे विशेष मतदाता पुनरीक्षण अभियान (SIR) को लेकर कहा:
“कुछ राजनीतिक दल बाहरी वोटर जोड़कर अपना आधार मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। चुनाव आयोग को इस पर सख्ती से नजर रखनी चाहिए।”
20 लाख नौकरियों के दावे पर भी उठाए सवाल
तेजस्वी यादव के 6 महीने में 20 लाख नौकरियों के दावे पर रूडी बोले:
“ऐसा लगता है जैसे सरकार जनता को सिर्फ संभावनाएं बेच रही है, काम नहीं कर रही। याद रखें, कभी 4 करोड़ बिहारी डर के कारण बिहार छोड़ चुके थे – वो दौर हम भूले नहीं हैं।”
अहमदाबाद प्लेन क्रैश पर क्या बोले Rajiv Pratap Rudy?
राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि:
“एएआईबी (Aircraft Accident Investigation Bureau) की रिपोर्ट में टाइमलाइन और घटनाक्रम स्पष्ट है, लेकिन यह अंतिम निष्कर्ष नहीं है।
इस पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी। पायलट या कंपनी को लेकर संदेह व्यक्त करना इस वक्त उचित नहीं है।”
राजीव प्रताप रूडी के बयान ने राजनीतिक और व्यक्तिगत दोनों स्तरों पर तेजस्वी यादव पर निशाना साधा है।
उनकी यह सलाह—कि तेजस्वी को लालू यादव के अंदाज-ए-बयां से सीखना चाहिए—एक ओर तंज है, तो दूसरी ओर सार्वजनिक संवाद के महत्व की भी याद दिलाता है।



