
नई दिल्ली: Narendra Modi : हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका और भारत के संबंध बीते कुछ दशकों में सबसे निचले स्तर पर हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के ट्रेड टैरिफ पर बात करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चार बार फोन किया, लेकिन उन्होंने कोई कॉल रिसीव नहीं की। इस घटनाक्रम को भारत की विदेश नीति में एक बड़े बदलाव का संकेत माना जा रहा है, जहां भारत अब दबाव में आने के बजाय सख्ती से जवाब देने की नीति पर विचार कर रहा है।
टैरिफ पर बात, Narendra Modi ने नहीं उठाया Trump का कॉल
जर्मन अखबार फ्रैंकफर्टर अल्गेमाइने ज़ितुंग की एक विस्तृत रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप के अप्रत्याशित रुख से परेशान भारत सरकार अब उनसे कोई आसान डील नहीं करना चाहती। अखबार ने यह भी लिखा है कि भारत ने चीन, रूस और ब्राजील जैसे देशों के साथ मिलकर एक नया गठजोड़ खड़ा करने का प्रयास शुरू कर दिया है। यह नीति चीन के साथ 2020 की सैन्य झड़प के बाद भी भारत के बदलते रुख को दर्शाती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत, चीन के खिलाफ अमेरिका का मोहरा नहीं बनना चाहता, बल्कि वह अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को मजबूत कर रहा है।
Narendra Modi News: रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत की मध्यस्थता की भूमिका
एक अन्य महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, भारत में यूक्रेन के राजदूत अलेक्जेंडर पोलिशचुक ने रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने में भारत की अधिक सक्रिय भूमिका की उम्मीद जताई है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन भारत को संभावित शांति वार्ताओं में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में देखता है। राजदूत ने प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान की सराहना की कि भारत युद्ध में तटस्थ नहीं है, बल्कि शांति, कूटनीति और राजनीतिक संवाद का समर्थन करता है।
उन्होंने यह भी बताया कि यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की की भारत यात्रा को अंतिम रूप दिया जा रहा है। यह घटनाक्रम भारत की उस नीति को दर्शाता है जहां वह पश्चिमी प्रतिबंधों की परवाह किए बिना अपनी विदेश नीति के हितों को प्राथमिकता दे रहा है।
Narendra Modi News: आर्थिक और राजनीतिक निहितार्थ
भारत में होने वाले कुल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत है, जिसमें कपड़े, दवाइयाँ और ऑटो पार्ट्स प्रमुख हैं। हालांकि, शुल्क के कारण इस व्यापार में कमी आने की आशंका है, जिससे भारत की विकास दर पर भी असर पड़ सकता है। इन घटनाक्रमों से यह स्पष्ट है कि भारत अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी अलग पहचान बना रहा है और किसी भी देश के दबाव में आकर अपने हितों से समझौता नहीं करेगा।
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