
केंद्र सरकार ने झारखंड (Hemant Sarkar) समेत अन्य राज्यों को पीएम पोषण योजना के तहत मध्याह्न भोजन (मिड-डे मील) में खाद्य तेल के उपयोग में 10% तक कमी लाने का सुझाव दिया है। इस संबंध में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने एक एडवाइजरी जारी की है।
Hemant Sarkar News: बढ़ते मोटापे को देखते हुए केंद्र की पहल
यह कदम बच्चों में बढ़ते मोटापे और अधिक वजन की समस्या को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। एडवाइजरी में यह भी कहा गया है कि अत्यधिक तेल के सेवन के दुष्प्रभावों और मोटापे से इसके संबंध को लेकर छात्रों को जागरूक करना आवश्यक है।
Hemant Sarkar News: खाद्य तेल के उपयोग में कमी के लिए जागरूकता अभियान
केंद्र ने राज्यों को सलाह दी है कि न केवल मिड-डे मील बल्कि घरेलू भोजन में भी तेल के उपयोग को 10% तक कम करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाए। इसमें शिक्षकों, अभिभावकों, स्कूली छात्रों और समुदाय के सदस्यों को शामिल करने की बात कही गई है।
इसके लिए केंद्र ने कुछ अहम सुझाव दिए:
स्कूलों में रसोइयों को प्रशिक्षित किया जाए ताकि वे खाना पकाने में तेल का इस्तेमाल 10% तक कम कर सकें।
पोषण विशेषज्ञों को बुलाकर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएं, जहां कम तेल वाले आहार और स्वस्थ व्यंजनों पर सत्र हों।
डीप-फ्राइंग की बजाय ग्रिलिंग, स्टीमिंग और बेकिंग जैसे स्वस्थ विकल्पों को अपनाने पर जोर दिया जाए।
Hemant Sarkar News: मध्याह्न भोजन के लिए पहले से जारी गाइडलाइन
बच्चों के लिए मिड-डे मील को पोषण की दृष्टि से संतुलित बनाए रखने के लिए पहले से ही स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। इनमें शामिल हैं:
फोर्टिफाइड चावल, गेहूं, मोटे अनाज, दालें और हरी पत्तेदार सब्जियों का अनिवार्य उपयोग।
प्राथमिक स्कूल के छात्रों के लिए 5 ग्राम और उच्च प्राथमिक छात्रों के लिए 7.5 ग्राम खाद्य तेल का सीमित उपयोग।
डबल फोर्टिफाइड नमक और विटामिन A व D से समृद्ध फोर्टिफाइड खाद्य तेल का इस्तेमाल।
स्कूलों के किचन गार्डन में उगाई गई सब्जियों का मिड-डे मील में उपयोग।
प्रधानमंत्री भी जता चुके हैं चिंता
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘परीक्षा पे चर्चा’ और ‘मन की बात’ कार्यक्रमों में बच्चों में बढ़ते मोटापे पर चिंता जताई थी। उन्होंने लैंसेट जर्नल के एक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा था कि 2022 में 5 से 19 वर्ष की उम्र के 12.5 मिलियन बच्चे अधिक वजन के थे, जबकि 1990 में यह संख्या मात्र 0.4 मिलियन थी।
झारखंड में मोटापे की स्थिति (NFHS-5 रिपोर्ट)
झारखंड में 5 वर्ष तक के 2.8% बच्चे अधिक वजन के हैं, जबकि NFHS-4 में यह आंकड़ा 1.5% था।
15-49 वर्ष आयु वर्ग में 15.1% पुरुष और 11.5% महिलाएं अधिक वजन की समस्या से जूझ रहे हैं।
शहरी क्षेत्रों में मोटापे की दर ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक है।
केंद्र सरकार ने बढ़ते मोटापे को रोकने और बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए मिड-डे मील में तेल की खपत घटाने की सलाह दी है। साथ ही, स्कूलों और घरों में भी तेल के कम उपयोग को लेकर जागरूकता फैलाने पर जोर दिया है। झारखंड सरकार को इस दिशा में नए कदम उठाने की जरूरत होगी ताकि बच्चों का पोषण संतुलित बना रहे और वे स्वस्थ जीवन जी सकें।