
रांची | BJP: झारखंड में हेमंत सरकार ‘पार्ट-2’ के एक वर्ष पूरे होने पर आयोजित हो रहे जश्न को लेकर सियासत गरमा गई है। मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सरकार के समारोहों को ‘जनता की जले पर नमक’ छिड़कने जैसा बताया है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने शुक्रवार को सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि यह वक्त “जश्न मनाने का नहीं, बल्कि जनता के सवालों का जवाब देने का है।”
युवा नौकरी मांग रहे, सरकार कॉन्सर्ट में व्यस्त: BJP
भाजपा ने रोजगार के मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथों लिया। अजय साह ने कहा, “राज्य का युवा अपने भविष्य को लेकर चिंतित है और नौकरी मांग रहा है, लेकिन सरकार रोजगार देने के बजाय शिल्पा राव जैसे कलाकारों के कार्यक्रमों में व्यस्त है।” उन्होंने सरकार से श्वेत पत्र जारी कर यह बताने को कहा कि पिछले एक साल में रोजगार सृजन के मोर्चे पर क्या वास्तविक उपलब्धियां हासिल हुई हैं।
![]()
BJP News: भ्रष्टाचार: ‘दागी अधिकारियों की वापसी मजबूरी क्यों?’
भाजपा ने भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे अधिकारियों की वापसी पर भी सवाल उठाए। प्रवक्ता ने पूछा कि आखिर सरकार की ऐसी क्या मजबूरी थी कि छवि रंजन और वीरेंद्र राम जैसे अधिकारियों, जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, उन्हें दंडित करने के बजाय फिर से व्यवस्था में शामिल कर लिया गया? साथ ही, ईडी (ED) द्वारा भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए लिखे गए पत्रों पर सरकार ने अब तक क्या कदम उठाए, इसका हिसाब मांगा गया है।
BJP News: DGP नियुक्ति और घुसपैठ पर घेरा
अजय साह ने राज्य की कानून-व्यवस्था और नियुक्तियों पर भी सवाल खड़े किए:
-
DGP नियुक्ति: उन्होंने पूछा कि संवैधानिक प्रक्रियाओं को दरकिनार कर एक विवादित छवि वाले व्यक्ति को डीजीपी क्यों बनाया गया?
-
घुसपैठ: भाजपा ने आरोप लगाया कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के फर्जी आधार कार्ड बनाए जा रहे हैं, लेकिन सरकार इस पर खामोश है।
-
आदिवासी अत्याचार: प्रवक्ता ने कहा कि राज्य में आदिवासियों पर अत्याचार बढ़ रहे हैं और सरकार इसकी अनदेखी कर रही है।

विदेश दौरे से झारखंड को क्या मिला?
भाजपा ने मुख्यमंत्री के विदेश दौरे पर भी सवालिया निशान लगाया और पूछा कि उस दौरे से राज्य को क्या ठोस लाभ मिला, इसका विवरण जनता के सामने रखा जाना चाहिए। अजय साह ने कहा कि सरकार संवैधानिक संस्थाओं का अपमान करने वाले मंत्रियों को संरक्षण दे रही है। उन्होंने मांग की कि सरकार अपनी ‘एक साल की उपलब्धियों’ के नाम पर उत्सव मनाने के बजाय अपने कामकाज का ईमानदार हिसाब दे।



