पटना: बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल बढ़ गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नई गठित सरकार में अपने बेटे दीपिक प्रकाश कुशवाहा को मंत्री बनवाकर सुर्खियों में आए उपेंद्र कुशवाहा अब अपनी ही पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के भीतर नए विवाद से घिरे दिखाई दे रहे हैं।
मंगलवार को RLM के तीन विधायक बिना किसी पूर्व सूचना के अकेले बिहार विधानसभा अध्यक्ष प्रेम कुमार से मिलने पहुंच गए। इस मुलाकात में न तो उपेंद्र कुशवाहा शामिल थे और न ही उनकी पत्नी या बेटा दीपिक प्रकाश जो आमतौर पर उनके राजनीतिक कार्यक्रमों में साथ रहते हैं। इस अनुपस्थिति ने सियासी गलियारों में कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

तीन विधायकों की ‘अचानक मुलाकात’ ने बढ़ाया सस्पेंस
जानकारी के मुताबिक RLM के ये तीन विधायक जिनके नाम अभी आधिकारिक रूप से सामने नहीं आए मंगलवार दोपहर अचानक विधानसभा अध्यक्ष से मिलने पहुंचे। मुलाकात लगभग 30 मिनट चली। सूत्र बताते हैं कि इस दौरान विधायकों ने अपने क्षेत्रीय मुद्दों और पार्टी से जुड़े कुछ “महत्वपूर्ण निर्णयों” पर बातचीत की।
परंतु जो बात सबसे अधिक चौंकाने वाली रही वह थी उपेंद्र कुशवाहा की इस पूरे घटनाक्रम से दूरी। आमतौर पर पार्टी के किसी भी बड़े या छोटे कदम में कुशवाहा स्वयं शामिल रहते हैं और यदि नहीं भी रहते तो उनकी पत्नी या बेटा उनकी राजनीतिक जगह भरते दिखाई देते हैं। लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ।
क्या RLM में सबकुछ ठीक नहीं? अंदरूनी खींचतान की चर्चाएँ तेज
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुलाकात ‘सामान्य शिष्टाचार’ से अधिक कुछ हो सकती है। यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या पार्टी के अंदर असंतोष पनप रहा है?
कई नेता इस बात की ओर संकेत कर रहे हैं कि कुछ विधायकों ने बेटे दीपिक प्रकाश को मंत्री बनाए जाने के तरीके पर नाराज़गी जताई थी। उनका मानना है कि RLM में निर्णय प्रक्रिया परिवार-केंद्रित होती जा रही है। ऐसे में तीन विधायकों का अकेले जाकर मुलाकात करना यह संकेत दे सकता है कि पार्टी में दो खेमे बन रहे हैं, एक पूरी तरह कुशवाहा परिवार के साथ और दूसरा स्वतंत्र राजनीतिक पहचान की तलाश में।
क्या है उपेंद्र कुशवाहा की रणनीति? चुप्पी ने बढ़ाए सवाल
उपेंद्र कुशवाहा ने इस मुलाकात पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। उनकी चुप्पी ने सस्पेंस को और गहरा कर दिया है।कुछ सूत्रों का कहना है कि यह मुलाकात पार्टी की एक “अंदरूनी समीक्षा प्रक्रिया” का हिस्सा थी जबकि कुछ इसे RLM के विभाजन या संभावित शिफ्टिंग का संकेत मान रहे हैं।
बिहार की राजनीति में अचानक होने वाली इस तरह की एक्शन मीटिंग अक्सर शक्ति-प्रदर्शन, राजनीतिक संदेश या आने वाली रणनीति के संकेत मानी जाती है।
परिवार की गैरमौजूदगी बनी चर्चा का केंद्र
सबसे दिलचस्प बात यह रही कि इस बार न तो उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी नजर आईं और न ही उनके बेटे दीपिक प्रकाश जिनकी हालिया मंत्री नियुक्ति ने RLM को सुर्खियों में ला दिया था।
परिवार की अनुपस्थिति ने इस अनुमान को और बल दिया है कि शायद पार्टी के भीतर अगला कदम निर्धारित करने को लेकर मतभेद हैं या विधायकों ने जानबूझकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि वे अपने राजनीतिक निर्णय खुद लेना चाहते हैं।
आने वाले दिनों में और भी बड़ा मोड़ संभव
RLM के तीन विधायकों की यह मुलाकात भले ही छोटी दिखे, लेकिन इसके राजनीतिक मायने बड़े हो सकते हैं। आने वाले दिनों में यह स्पष्ट होगा कि यह सिर्फ एक औपचारिक मुलाकात थी या पार्टी में किसी बड़े बदलाव की शुरुआत।
उपेंद्र कुशवाहा की रणनीति, परिवार की भूमिका और विधायकों का रुख, ये तीनों ही बातें तय करेंगी कि RLM आगे किस दिशा में बढ़ेगी।



