पटना। बिहार में 2025 विधानसभा चुनाव (Bihar Election) से पहले चुनाव आयोग द्वारा शुरू किए गए वोटर लिस्ट गहन पुनरीक्षण अभियान (Special Intensive Revision – SIR) पर अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) के भीतर ही सवाल उठने लगे हैं।
पहले जहां बांका से सांसद गिरधारी यादव ने इसे जबरन थोपा गया बताया, वहीं अब खगड़िया जिले के परबत्ता से जेडीयू विधायक संजीव कुमार ने इस प्रक्रिया की आलोचना करते हुए प्रवासी मजदूरों का नाम लिस्ट से हटने की आशंका जताई है।
Bihar Election 2025: क्या बोले विधायक संजीव कुमार?
पटना में बुधवार को मीडिया से बात करते हुए विधायक संजीव कुमार ने कहा कि उनके क्षेत्र के कई मजदूर रोजगार के लिए बाहर हैं, जिनके पास छह महीने की छुट्टी नहीं है। इस कारण वे वोटर लिस्ट रिवीजन प्रक्रिया के दौरान घर नहीं आ पा रहे हैं और उनसे संपर्क भी नहीं हो पा रहा है।
“मोबाइल नंबर भी नहीं मिल पा रहे हैं। सत्यापन न होने की स्थिति में उनके नाम हटने की आशंका है। आयोग को चाहिए कि वह सुनिश्चित करे कि प्रवासी मजदूरों का नाम वोटर लिस्ट से न काटा जाए।”
उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें पार्टी नेतृत्व की राय का पता नहीं, लेकिन यह एक जमीनी सच्चाई है कि बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों के नाम लिस्ट से हट सकते हैं।
Bihar Election 2025: सांसद गिरधारी यादव पहले ही जता चुके हैं आपत्ति
इससे पहले बांका से जेडीयू सांसद गिरधारी यादव ने दिल्ली में कहा था कि चुनाव आयोग को यह प्रक्रिया जल्दबाजी में नहीं करनी चाहिए। उन्होंने मांग की कि गहन पुनरीक्षण के लिए कम से कम 6 महीने का समय दिया जाए, क्योंकि अमेरिका या अन्य देशों में रहने वाले लोग एक महीने में दस्तावेज जुटाकर फार्म भर पाना संभव नहीं कर सकते।
“चुनाव आयोग ने यह प्रक्रिया जनता पर थोपी है,” उन्होंने यह भी जोड़ा।
Bihar Election 2025: राजनीतिक मायने
चूंकि यह सवाल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अपनी पार्टी के नेताओं द्वारा उठाया जा रहा है, यह घटनाक्रम JDU के भीतर मतभेद का संकेत भी देता है। यह मुद्दा आने वाले समय में महागठबंधन की चुनावी तैयारियों को भी प्रभावित कर सकता है, खासकर यदि प्रवासी मजदूरों के नामों को लेकर विरोध और बढ़ा।



