Bihar: बिहार में नई सरकार बनने के बाद अब योजनाओं के सुचारू क्रियान्वयन और जिलों की प्रशासनिक मॉनिटरिंग को लेकर तेज़ी से कवायद जारी है।
राज्य सरकार ने संकेत दिया है कि खरमास शुरू होने से पहले यानी 16 दिसंबर से पहले-पहले सभी मंत्रियों के बीच जिलों का दायित्व फाइनल कर दिया जाएगा। यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है ताकि नए साल में किसी तरह की प्रशासनिक देरी न हो और सभी विकास योजनाओं की निगरानी व्यवस्थित ढंग से हो सके।

बीजेपी की सूची का इंतज़ार, प्रक्रिया अंतिम चरण में
सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री कार्यालय को मंत्रियों के जिला प्रभार को लेकर बीजेपी की ओर से भेजी जाने वाली अंतिम सूची का इंतज़ार है। सरकार में शामिल 26 मंत्री अपनी-अपनी प्राथमिकताएं पहले ही साझा कर चुके हैं, लेकिन अंतिम निर्णय सीएम कार्यालय और गठबंधन की सहमति के आधार पर लिया जाएगा।
जैसे ही भाजपा की ओर से सूची उपलब्ध होगी उसी दिन से मंत्रियों को उनके संबंधित जिला कार्यक्रम एवं कार्यान्वयन समिति के अध्यक्ष और जिला प्रभारी मंत्री का दायित्व सौंप दिया जाएगा।
जिला प्रभारी मंत्री की भूमिका होगी और अधिक ज़िम्मेदार
सरकार इस बार जिला प्रभारों को सिर्फ “फॉर्मल ड्यूटी” तक सीमित नहीं रखने की तैयारी में है। नए निर्देशों के अनुसार
- जिले में चल रही हर बड़ी योजना का मासिक रिव्यू
- डीएम, एसपी और प्रमुख विभागीय अधिकारियों के साथ त्रैमासिक बैठक
- योजनाओं में देरी, गड़बड़ी और लक्ष्य से पिछड़ने पर रिपोर्ट
- स्थानीय समस्याओं का सीधा फीडबैक मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजना
जिलों में योजनाओं के माइक्रो मॉनिटरिंग पर इस बार काफ़ी ज़ोर दिया जा रहा है ताकि सरकार के 2025 के बड़े विकास लक्ष्यों को समय पर पूरा किया जा सके।
गठबंधन में संतुलन का भी रखा जाएगा ध्यान
जिलों के बंटवारे में पार्टी और क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने की भी कोशिश होगी।
- बड़े और संवेदनशील जिले वरिष्ठ मंत्रियों को दिए जा सकते हैं
- पिछड़े जिलों में ऐसे मंत्रियों को ज़िम्मेदारी दी जा सकती है जिनका कार्यान्वयन अनुभव बेहतर माना जाता है
- कोशी, सीमांचल और मिथिलांचल जैसे क्षेत्रों में राजनीतिक समीकरण भी निर्णय में प्रभाव डालेंगे
गठबंधन सरकार होने के कारण इस बार जिलों के प्रभार में संतुलन और सहमति दोनों अहम होंगे।
खरमास से पहले पूरी प्रक्रिया निपटाने का लक्ष्य
सरकार की मंशा है कि 16 दिसंबर से पहले-पहले सभी मंत्रियों को उनके जिले अलॉट कर दिए जाएं ताकि
- नए साल के कैलेंडर के अनुसार पहली समीक्षा बैठकें समय पर हो सकें
- योजनाओं की स्पीड और मॉनिटरिंग में कोई रुकावट न आए
- मंत्रियों को जिलों की ग्राउंड-रियलिटी जानने का पर्याप्त समय मिले
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि प्रक्रिया को जल्दी और पारदर्शी ढंग से पूरा किया जाए।
यह भी पढ़े: Nishikant Dubey: लोकसभा में गरमाया माहौल, चुनाव सुधारों और SIR पर चर्चा के दौरान निशिकांत दुबे और पप्पू यादव के बीच तीखी नोकझोंक



