Operation Rising Lion: जब मोसाद के इशारे पर जुटे ईरानी कमांडर और इज़राइल ने मौत बरसा दी
ईरान पर तीन चरणों में हमला, टॉप कमांडर्स की मौत, मोसाद की खुफिया चाल का खुलासा

तेल अवीव/तेहरान | Operation Rising Lion: इज़रायल ने अपनी सबसे खतरनाक और साहसी सैन्य कार्रवाई में एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि उसकी खुफिया एजेंसी मोसाद किसी भी दुश्मन के भीतर घुसकर उसकी रीढ़ तोड़ सकती है।
Moments ago, Israel launched Operation “Rising Lion”, a targeted military operation to roll back the Iranian threat to Israel’s very survival.
This operation will continue for as many days as it takes to remove this threat.
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Statement by Prime Minister Benjamin Netanyahu: pic.twitter.com/XgUTy90g1S
— Benjamin Netanyahu – בנימין נתניהו (@netanyahu) June 13, 2025
“ऑपरेशन राइजिंग लॉयन” के तहत ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हुए इस हमले में कई शीर्ष ईरानी कमांडर्स मारे गए।
Operation Rising Lion: मोसाद ने बिछाया ऐसा जाल, खुद चलकर आए कमांडर
खुफिया सूत्रों के मुताबिक, मोसाद ने ईरानी सेना और प्रशासन में गहरी पैठ बना ली थी। इसी नेटवर्क के जरिए ऐसी झूठी जानकारी फैलाई गई कि ईरान के शीर्ष सैन्य अधिकारी एक “महत्वपूर्ण बैठक” के लिए एक ही स्थान पर इकट्ठा हो गए। मोसाद के इस मनोवैज्ञानिक खेल ने जनरल हुसैनी सलामी, आर्मी चीफ मोहम्मद बाघेरी, एयरफोर्स चीफ आमिर अली हाजीजेदह और इमर्जेंसी कमांड हेड गुलाम अली राशिद जैसे कमांडरों को निशाने पर ला खड़ा किया।
Operation Rising Lion: हमला तीन चरणों में हुआ
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पहला चरण: ईरान के डिफेंस और वेपनरी सिस्टम को निशाना बनाया गया।
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दूसरा चरण: एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह कर दिया गया, जिससे ईरान की जवाबी कार्रवाई की क्षमता कम हो गई।
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तीसरा चरण: सरफेस-टू-सरफेस मिसाइल लॉन्चर्स और परमाणु संयंत्रों को नष्ट किया गया।
इस पूरी कार्रवाई में 200 से अधिक एयरक्राफ्ट और अत्याधुनिक ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल हुआ। खास बात यह थी कि हमले से पहले ही विस्फोटक ड्रोन ईरान के अंदर तैनात कर दिए गए थे।
Operation Rising Lion: लक्ष्य बना ‘नातांज’ परमाणु संशोधन केंद्र
इज़रायल ने ईरान के नातांज न्यूक्लियर फैसिलिटी, यूरेनियम एनरिचमेंट प्लांट, और पश्चिमी ईरान के दर्जनों रडार स्टेशन को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया। यह हमला न केवल सैन्य बल्कि साइकोलॉजिकल वॉरफेयर का भी हिस्सा था, जिसका असर अब ईरानी सत्ता के भीतर देखा जा रहा है।
नेतन्याहू का बयान: “अगर नहीं करते, तो खत्म हो जाते”
इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस ऑपरेशन के बाद कहा:
“अगर दुश्मन कहता है कि वह तुम्हें मिटा देगा, तो उसपर भरोसा करो। अगर वह अपनी ताकत बढ़ा रहा है, तो उसे वहीं रोक दो। हमने इतिहास से यही सीखा है।”
Operation Rising Lion: ईरान के लिए 1980 के बाद सबसे बड़ा झटका
ईरान को इस हमले में जो नुकसान हुआ है, वह 1980 के इराक-ईरान युद्ध के बाद सबसे बड़ा माना जा रहा है।
विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इससे ईरान की सैन्य क्षमता और परमाणु कार्यक्रम को कई वर्षों पीछे धकेल दिया गया है।
यह हमला केवल सैन्य कार्रवाई नहीं थी, यह था “इंटेलिजेंस मास्टरी” का वह उदाहरण जिसने दिखा दिया कि आज की जंग मैदान में नहीं, दिमाग और डेटा की गहराइयों में लड़ी जाती है। मोसाद ने यह साबित कर दिया कि जब समय आए, तो दुश्मन की जमीन पर जाकर भी उसे मिटाया जा सकता है — बिना चेतावनी, बिना दया, बिल्कुल सटीक।



