रांची, 3 नवंबर: झारखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष Babulal Marandi ने हेमंत सोरेन सरकार पर “प्रशासनिक अव्यवस्था और लापरवाही” को लेकर तीखा हमला बोला है।
मरांडी ने दो सरकारी पत्रों में विरोधाभास का हवाला देते हुए दावा किया कि सरकार में गंभीर भ्रम की स्थिति है और इसी अव्यवस्था के कारण चाईबासा में बच्चों को HIV संक्रमित रक्त चढ़ाने जैसी भयावह घटना हुई है।
अधिकारी के पद को लेकर सरकार में भ्रम: Babulal Marandi
बाबूलाल मरांडी ने दो सरकारी पत्रों का जिक्र करते हुए सरकार के कामकाज पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा:
पहला पत्र (9 सितंबर 2025): इसमें उप निदेशक (ड्रग कंट्रोलर) रितु सहाय को संयुक्त निदेशक पद पर पदोन्नत किया गया, लेकिन इसमें निदेशक का प्रभार देने का कोई उल्लेख नहीं था।
दूसरा पत्र (30 अक्टूबर 2025): राज्य सरकार द्वारा झारखंड हाईकोर्ट में प्रस्तुत इस पत्र में रितु सहाय को ‘निदेशक’ बताया गया है।
मरांडी ने कहा, “इन दोनों पत्रों से यह स्पष्ट होता है कि सरकार के कामकाज में गंभीर लापरवाही है। जब अधिकारियों की भूमिका और जिम्मेदारी ही स्पष्ट नहीं है, तो शासन की कार्यप्रणाली को समझा जा सकता है।”
Babulal Marandi News: मुख्यमंत्री का संरक्षण मिलने का आरोप
मरांडी ने आरोप लगाया कि रितु सहाय पर सरकार की मेहरबानी कोई नई बात नहीं है और उन्हें “लंबे समय से मुख्यमंत्री का सीधा संरक्षण” प्राप्त है। उन्होंने दावा किया कि पूर्व स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने खुद रितु सहाय पर “नशे के कारोबार को संरक्षण देने” का आरोप लगाते हुए कार्रवाई के लिए विभागीय सचिव को पत्र (पीत पत्र) लिखा था, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि रितु सहाय के कार्यकाल में झारखंड नकली और घटिया दवाओं की बिक्री में शीर्ष पर रहा और धनबाद में प्रतिबंधित कफ सिरप मिलने के बावजूद कोई कदम नहीं उठाया गया, बल्कि उन्हें पदोन्नति दे दी गई।
चाईबासा कांड की CBI जांच की मांग
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि इसी प्रशासनिक अव्यवस्था और संरक्षण का परिणाम है कि चाईबासा में बच्चों को HIV संक्रमित रक्त चढ़ा दिया गया, जिससे उनका जीवन संकट में है।
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार इस भयावह घटना पर कठोर कार्रवाई करने के बजाय “मामले को दबाने और लीपापोती में जुटी हुई है” और अदालत में भी अधूरी जानकारी दे रही है।
मरांडी ने कहा कि राज्य सरकार से निष्पक्ष जांच की उम्मीद करना व्यर्थ है, इसलिए इस पूरे मामले की जांच सीबीआई (CBI) या हाईकोर्ट के सिटिंग जज से कराई जानी चाहिए।



