झारखंड में आतंकवादी गतिविधियों के बढ़ने को लेकर राज्य की राजनीति गर्मा गई है। भाजपा विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री Babulal Marandi ने विधानसभा में गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि झारखंड धीरे-धीरे आतंकियों और कट्टरपंथियों का गढ़ बनता जा रहा है लेकिन राज्य सरकार और सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह निष्क्रिय दिखाई देती हैं। मरांडी ने यह भी दावा किया कि कई जिलों में आतंकियों की सक्रियता बढ़ रही है मगर STF और पुलिस “कुछ नहीं देखती” मानो प्रशासन किसी दबाव में काम कर रहा हो।

सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका पर सवाल, “STF हाथ पर हाथ धरे बैठी है”
मरांडी ने सदन में अपनी बात रखते हुए कहा कि प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) और पुलिस दोनों ही आतंकवादी नेटवर्क को रोकने में विफल साबित हो रही हैं। उन्होंने तर्क दिया कि पिछले कुछ महीनों में हुई कई गिरफ्तारियां यह साफ करती हैं कि बाहरी राज्यों के आतंकी संगठन झारखंड में अपनी जड़ें मजबूत कर रहे हैं।
उनके मुताबिक जब तक पुलिस राजनीतिक दबाव से मुक्त होकर प्रोफेशनल तरीके से काम नहीं करेगी तब तक समस्या और गहरी होती जाएगी। उन्होंने यहां तक कहा कि कई बार इनपुट मिलने के बावजूद कार्रवाई नहीं की जाती जिससे सवाल और गंभीर हो जाते हैं।
मरांडी के आरोप, “सरकार आतंकियों पर नरम, सामान्य जनता पर सख्त”
मरांडी ने सरकार को घेरते हुए आरोप लगाया कि प्रशासन आम जनता के मामलों में तो सख्ती दिखाता है लेकिन जब बात आतंकियों के नेटवर्क तोड़ने की आती है तो शासन “नरमी का रवैया” अपनाता है।
उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार चाहती तो अंतरराज्यीय गिरोहों पर पहले ही शिकंजा कसा जा सकता था। मरांडी ने दावा किया कि आतंकियों की फंडिंग, लॉजिस्टिक्स और ठिकानों को लेकर कई बार केंद्रीय एजेंसियों ने चेतावनी जारी की है लेकिन राज्य स्तर पर ठोस कदम नहीं उठाए गए।
अवैध गतिविधियों में तेजी, किन जिलों में बढ़ा खतरा?
भाजपा नेता ने बताया कि रांची, जमशेदपुर, हजारीबाग और धनबाद जैसे प्रमुख जिलों में संदिग्ध गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं। उन्होंने कहा कि कट्टरपंथी संगठन यहां शरण, भर्ती और फंडिंग नेटवर्क तैयार करने में जुटे हैं।
मरांडी ने यह भी चेतावनी दी कि यदि सरकार ने अब भी नींद से नहीं जागा, तो झारखंड की सुरक्षा स्थिति काफी खराब हो सकती है और आम नागरिकों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ेगा।
सदन में गरमाया माहौल, विपक्ष का वॉकआउट
मरांडी के भाषण के बाद सदन में सियासी तापमान बढ़ गया। विपक्ष के अन्य नेताओं ने भी सरकार पर सुरक्षा मुद्दों को हल्के में लेने का आरोप लगाया। वहीं, सत्ता पक्ष के विधायकों ने मरांडी के बयान को “सिर्फ राजनीतिक बयानबाज़ी” बताया। विश्लेषकों का मानना है कि इस मुद्दे पर टकराव बढ़ सकता है, क्योंकि हाल के मामलों में STF की भूमिका पहले से ही सवालों के घेरे में है।
झारखंड में सुरक्षा पर बड़ी राजनीतिक लड़ाई शुरू
बाबूलाल मरांडी के इन बयानों ने झारखंड की सुरक्षा नीति को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। अब सवाल यह है कि क्या सरकार इस पर ठोस कदम उठाएगी या मामला सिर्फ राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित रहगा।



