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महागठबंधन में शामिल होने को बेताब AIMIM, बिहार अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने लालू यादव को भेजा प्रस्ताव

AIMIM ने कहा – सेक्युलर वोटों को एकजुट करने की जरूरत, नहीं बनी बात तो बनाएंगे तीसरा मोर्चा

पटना: बिहार की सियासत में एक नया मोड़ उस वक्त आया जब AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को पत्र लिखकर महागठबंधन में शामिल किए जाने का औपचारिक प्रस्ताव दिया।

ओवैसी की पार्टी ने स्पष्ट किया है कि अगर उन्हें गठबंधन में जगह नहीं मिली, तो वे बिहार में तीसरा मोर्चा खड़ा करने का विकल्प भी खुला रखेंगे।

AIMIM का लालू यादव को सीधा संदेश

अख्तरुल ईमान ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने लालू प्रसाद यादव को एक पत्र भेजा है जिसमें AIMIM को महागठबंधन (RJD, कांग्रेस, वाम दलों) में शामिल करने की अपील की गई है। उन्होंने दावा किया कि इस विषय में पहले भी फोन पर बातचीत हुई थी, लेकिन कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं मिली।

ईमान बोले: “हम चाहते हैं कि सभी विपक्षी दल मिलकर NDA के खिलाफ एकजुट लड़ें। हमारा मकसद है सेक्युलर वोटों का बंटवारा रोकना।”

गेंद अब लालू-तेजस्वी के पाले में

AIMIM की तरफ से यह साफ कर दिया गया है कि अब निर्णय RJD और महागठबंधन के नेताओं को लेना है। अख्तरुल ईमान ने कहा,

“अगर हमारी बात नहीं सुनी जाती, तो हम तीसरा मोर्चा बनाने पर मजबूर होंगे।”

इस बयान को सीमांचल क्षेत्र की राजनीति में एक बड़ा संकेत माना जा रहा है, जहां AIMIM का खासा प्रभाव है।

पिछले चुनावों में भी जताई थी एकजुटता की इच्छा

पत्र में ईमान ने यह भी उल्लेख किया कि 2020 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी AIMIM ने महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा जताई थी, लेकिन कोई ठोस पहल नहीं हो पाई। उन्होंने दोहराया कि अगर 2025 के चुनाव में सारे विपक्षी दल साथ आएं, तो “बिहार में अगली सरकार महागठबंधन की बन सकती है।”

2020 में पांच सीटों पर मिली थी जीत, चार विधायक हो गए थे RJD में शामिल

गौरतलब है कि AIMIM ने 2020 के विधानसभा चुनाव में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटें जीती थीं — अमौर, बायसी, जोकीहाट, कोचाधामन और बहादुरगंज। लेकिन 2022 में पार्टी को बड़ा झटका तब लगा जब उसके चार विधायक आरजेडी में शामिल हो गए। केवल बायसी के विधायक अख्तरुल ईमान ही AIMIM में बचे हैं, जो अब पार्टी के बिहार अध्यक्ष हैं।

राजनीतिक विश्लेषण: AIMIM की मांग के मायने

AIMIM की यह पहल न सिर्फ महागठबंधन के अंदर दबे हुए अंतर्विरोधों को उजागर करती है, बल्कि सीमांचल की मुस्लिम आबादी पर केंद्रित राजनीति में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले समीकरणों को भी प्रभावित कर सकती है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि अगर AIMIM अलग लड़ती है, तो सेक्युलर वोटों में बिखराव हो सकता है, जिसका फायदा NDA को मिल सकता है।

RJD की प्रतिक्रिया का इंतजार

फिलहाल RJD की ओर से इस पत्र पर कोई औपचारिक बयान नहीं आया है। लेकिन AIMIM के खुले प्रस्ताव और तीसरे मोर्चे की चेतावनी ने लालू और तेजस्वी यादव की रणनीति को मुश्किल में जरूर डाल दिया है।

 

 

 

 

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