Patna: शनिवार को मादक पर विनिर्माता निकाय यानी सीआईएबीसी ने Bihar सरकार से शराब की बिक्री पर रोक हटाने का निवेदन किया. सीआईएबीसी मैंने बताया कि ऐसा करने से प्रदेश के राजस्व संग्रह को बढ़ावा देने में सहायता मिलेगी.
सीआईएबीसी ने बिहार सरकार से शराब की खपत, बिक्री पर प्रतिबंध हटाने का आग्रह किया#national #liquior #urges #bihar #dainiksavera https://t.co/lVB5P3Upm3
— Dainik Savera Times (@saveratimes) December 9, 2023
गौर करने वाली बात यह है कि 30 साल के अंतराल के पश्चात मणिपुर में शराब की बिक्री एवं खपत को वैध घोषित कर दिया गया है.सीआईएबीसी का कहना है कि बिहार में शराब बंदी समाप्त होने की वजह से वहां की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा तथा खराब गुणवत्ता वाली शराब का गैर कानूनी व्यापार भी समाप्त हो जाएगा एवं जहरीली शराब की त्रासदियों पर भी रोक लगाई जा सकती है.
Bihar में शराबबंदी समाप्त होनी चाहिए
सीआईएबीसी के महानिदेशक विनोद गिरि ने बताया कि मणिपुर सरकार ने एक सकारात्मक सोच के साथ यह कदम उठाया है और इससे प्रदेश को 600-700 करोड़ रुपए सालाना कर राजस्व अर्जित करने एवं अवैध शराब की बिक्री के खतरे से निपटने में सहायता मिलेगी. आगे उन्होंने बताया कि बिहार सरकार को भी इसका पालन करना चाहिए तथा शराब बंदी को हटाना चाहिए.
महानिदेशक विनोद गिरी का कहना है कि बिहार वैध एवं नकली शराब के प्रसार, जहरीली शराब की घटनाओं एवं अपराध सिंडिकेट के बढ़ने तथा वेद सरकारी राजस्व के नुकसान के तौर पर शराब बंदी नीति की एक भारी कीमत चुका रहा है.
Bihar चुका रहा है शराब बंदी की भारी कीमत
सीआईएबीसी के महानिदेशक विनोद गिरि ने कहा कि बिहार शराबबंदी को इस प्रकार से समाप्त कर सकता है कि सरकार वंचित सामाजिक लक्षण से समझौता किए बिना ही प्रदेश के विकास के लिए राजस्व प्राप्त कर सके. उनका कहना है कि हमने यह सुझाव दिया है कि शराब फैक्ट्रियां अपने कर्मचारियों में से 50% महिलाओं को रखेंगी ताकि महिलाओं का वास्तविक आर्थिक सशक्तिकरण होगा.
हमने शराब मुक्ति तथा पुनर्वास केंटो को वित्त पोषित करने के लिए शराब की बिक्री पर एक विशेष उपकार लगाने का प्रस्ताव रखा है. 30 से ज्यादा वर्षों के प्रबंध के पश्चात मणिपुर सरकार ने 7 दिसंबर को प्रदेश में शराब की बिक्री एवं खपत को वैध कर दिया था.