रांची: Jharkhand के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ने दावा किया है कि राज्य में नक्सलवाद अपनी आखिरी सांसें गिन रहा है और “नक्सलवादी 2026 का सूरज नहीं देख पाएंगे।”
झारखंड पुलिस द्वारा हाल ही में कराई गई मैपिंग रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि राज्य में अब भाकपा माओवादियों के 70 से भी कम कैडर बचे हैं।
Jharkhand News: माओवादियों का अंतिम गढ़
मैपिंग रिपोर्ट के अनुसार, भाकपा माओवादियों का सबसे बड़ा संगठित दस्ता अब केवल सारंडा के मंकी रिजर्व फॉरेस्ट में सिमटकर रह गया है, जहां लगभग 55 से 60 कैडर मौजूद हैं। इस दस्ते का नेतृत्व पोलित ब्यूरो सदस्य मिसिर बेसरा कर रहा है। इसके अलावा, राज्य के किसी भी हिस्से में नक्सलियों की संगठित मौजूदगी नहीं है।
- सक्रियता: हजारीबाग और चतरा में 15 लाख का इनामी सहदेव महतो छोटे कैडरों के साथ सक्रिय है, जबकि पलामू में नीतेश यादव और लोहरदगा-लातेहार सीमा पर रवींद्र गंझू इक्का-दुक्का कैडरों के साथ सक्रिय हैं।
Jharkhand News: उग्रवादी समूह लगभग समाप्त
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि राज्य के प्रमुख उग्रवादी समूह—जेजेएमपी (JJMP), पीएलएफआई (PLFI) और टीएसपीसी (TSPC)—अब लगभग समाप्त हो चुके हैं, क्योंकि उनके पास न तो कैडर बचा है और न ही सक्षम नेतृत्व:
- पीएलएफआई: सुप्रीमो दिनेश गोप जेल में है, और सेकेंड इन कमान मार्टिन केरकेट्टा पिछले महीने मुठभेड़ में मारा गया।
- जेजेएमपी: सुप्रीमो पप्पू लोहरा समेत सभी बड़े उग्रवादी मारे जा चुके हैं या उन्होंने सरेंडर कर दिया है, अब इस संगठन के 2-3 उग्रवादी ही बचे हैं।
- टीएसपीसी: सुप्रीमो ब्रजेश गंझू की गिरफ्तारी नहीं हुई है, लेकिन वह भूमिगत है और उसके राज्य से बाहर होने का अंदेशा है।
बीते माह में छह बड़ी मुठभेड़ें
झारखंड पुलिस और सुरक्षाबलों की आक्रामक रणनीति के कारण बीते कुछ महीनों में नक्सलियों को बड़ा नुकसान हुआ है:
- 24 सितंबर: गुमला में जेजेएमपी के सब जोनल कमांडर समेत 3 उग्रवादी मारे गए।
- 15 सितंबर: हजारीबाग में एक करोड़ के इनामी सहदेव सोरन समेत तीन नक्सली ढेर।
- 06 अगस्त: गुमला में पीएलएफआई का सेकेंड इन कमान मार्टिन केरकेट्टा मारा गया।
- 21 अप्रैल: बोकारो में सैक रैंक के अरविंद यादव समेत आठ नक्सली मारे गए।



