America ने भारत पर लगाया टैरिफ वार्ता में जानबूझकर देरी का आरोप, भारत बोला—राष्ट्रहित से समझौता नहीं

India-America व्यापार विवाद अब खुले आरोपों तक पहुँच चुका है। अमेरिका के वित्त मंत्री Scott Bessent ने CNBC को दिए इंटरव्यू में कहा है कि 1 अगस्त से लागू 25% टैरिफ के बाद भी भारत टैरिफ डील पर जानबूझकर देरी कर रहा है, जिससे अमेरिका ‘निराश और चिढ़ा’ हुआ है।
बेसेंट ने दो टूक कहा—”अब अगला कदम भारत को उठाना है, वार्ता तभी आगे बढ़ेगी जब भारत पहल करेगा।” साथ ही, अमेरिका ने रूस से भारत के बढ़ते तेल व्यापार पर भी नाराजगी जाहिर की और ‘पेनल्टी टैक्स’ लगाने का संकेत दिया।
India-America का आरोप और दबाव
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बातचीत में ठहराव:
अमेरिका का दावा है कि टैरिफ और ट्रेड डील को लेकर बातचीत महीनों से जारी है लेकिन भारत गंभीरता नहीं दिखा रहा, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप पहले ही कई बार 25% टैक्स की चेतावनी दे चुके थे। -
रूस से तेल खरीद बहाना:
अमेरिका का यह भी आरोप है कि भारत रूस से कच्चा तेल खरीदकर उसे प्रोसेस कर दुनिया में बेच रहा है, जो उसे ‘ग्लोबल ट्रेडिंग सिस्टम’ में भरोसेमंद साझेदार नहीं दिखाता। -
पेनल्टी टैक्स की धमकी:
ट्रंप प्रशासन रूस से सैन्य उपकरण और तेल खरीद के लिए भारत पर अलग से अतिरिक्त ‘पेनल्टी’ टैक्स लगाने की भी घोषणा कर चुका है।
India-America: भारत का जवाब
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संयमित और आत्मविश्वासी रुख:
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने संसद और मीडिया में बयान में कहा कि सरकार अमेरिका के ऐलान का गहन आकलन कर रही है। “हम देशहित में हर जरूरी कदम उठाएँगे,”—सरकार का स्पष्टीकरण है कि राष्ट्रीय हित, किसानों, उद्यमियों और MSME सेक्टर पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। -
जल्दबाज़ी नहीं, टेबल पर जवाब:
भारतीय सरकारी सूत्रों ने कहा है, “हम प्रतिक्रिया में कोई हड़बड़ी नहीं करेंगे, जितना भी संवाद या रणनीतिक जवाब देना होगा, वह सिर्फ वार्ता मेज़ (negotiation table) पर देंगे।” -
कृषि-डेयरी बाजार पर सख्त:
भारत ने स्पष्ट किया है कि अमेरिका की मांगों—विशेषतः कृषि और डेयरी सेक्टर में अधिक आयात और टैक्स छूट देने—पर दबाव में कोई रियायत नहीं दी जाएगी।
“हमारी प्राथमिकता किसानों और ग्रामीण रोजगार की रक्षा है; जैसा UK FTA में किया, वैसा ही कड़ा रुख यहां भी रहेगा।”
India-America: बातचीत की अगली प्रक्रिया
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25 अगस्त को अगला राउंड:
भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Bilateral Trade Agreement) का छठा राउंड 25 अगस्त को दिल्ली में होना तय है। तब तक दोनों देशों के अधिकारी वर्चुअल या तकनीकी स्तर की बातचीत जारी रखेंगे। -
पिछला राउंड जुलाई के अंत में वॉशिंगटन में हुआ, जिसमें वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारी और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि शामिल थे।
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डील के मुख्य विवाद—कृषि, डेयरी, स्टील, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो, पेट्रोकेमिकल—पर ही चर्चा अटकी हुई है।
बिगड़ते व्यापार समीकरण
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यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब अमेरिका-चीन डील को भारत पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए मिसाल के रूप में पेश किया जा रहा है; चीन वार्ता में भारत से आगे निकल चुका है।
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भारत का रुख है कि वैश्विक दबाव या ‘प्रेशर टैक्स’ से झुका नहीं जा सकता—आज भारत का ग्लोबल पोजिशन 1998 (न्यूक्लियर परीक्षण के समय) जैसा नहीं है, जब नई दिल्ली पर भारी आर्थिक दबाव डाला गया था।
भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता का माहौल फिलहाल काफी तनावपूर्ण है—अमेरिका भारत पर जानबूझकर डील लटकाने का आरोप लगा रहा है, जबकि भारत आत्मविश्वास से संयमित जवाब देकर राष्ट्रीय हित की रक्षा पर अड़ा है। अब निगाहें 25 अगस्त की अगली बैठक पर हैं, जहां दोनों देशों के पास समझौते की ओर वास्तविक पहल का आखिरी बड़ा मौका हो सकता है।



