सिंधु जल संधि पर पाकिस्तान की 4 गुहार, भारत सख्त: “आतंक रुके बिना पानी नहीं मिलेगा”

नई दिल्ली, 6 जून | पाकिस्तान इस समय भीषण जल संकट से गुजर रहा है। हालात इतने गंभीर हैं कि Indus Waters Treaty के निलंबन को हटवाने के लिए उसने चार बार भारत को पत्र लिखे हैं।
पर भारत साफ कर चुका है — “पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते।” जब तक आतंकवाद को समर्थन बंद नहीं होता, तब तक संधि बहाल नहीं होगी।
पृष्ठभूमि: क्या है मामला?
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पीओके और पाकिस्तान में चल रहे आतंकी ठिकानों पर निशाना साधा। साथ ही, भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित करने का निर्णय लिया।
Indus Waters Treaty: पाकिस्तान की हालत: “बूंद-बूंद पानी को तरस रहे लोग”
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सिंधु नदी बेसिन से पाकिस्तान की करीब 80% कृषि और बड़ी आबादी की पेयजल व्यवस्था जुड़ी है।
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भारत द्वारा जल प्रवाह रोके जाने के बाद वहां जल संकट और बिजली संकट दोनों गहरा गया है।
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पाकिस्तान ने मई की शुरुआत में पहली बार भारत से संपर्क किया था। इसके बाद तीन और औपचारिक अनुरोध भेजे गए।
Indus Waters Treaty: क्या कहती है भारत सरकार?
भारत ने पाकिस्तान के सभी पत्रों को विदेश मंत्रालय को भेज दिया है, पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया है:
“आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते।”
“पानी और खून, व्यापार और आतंक साथ नहीं बह सकते।”
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: अब बना रहे बांध
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प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने जल सुरक्षा को “राष्ट्रीय प्राथमिकता” घोषित किया है।
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उन्होंने नए जलाशयों और बांधों के निर्माण की योजना का ऐलान किया।
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इस कार्य के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया है, जिसकी अगुवाई उप प्रधानमंत्री इशाक डार कर रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर रोने की कोशिश
शरीफ ने इस मुद्दे को दुशांबे में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में उठाया, कहा:
“भारत लाखों पाकिस्तानी नागरिकों के जीवन को राजनीतिक लाभ के लिए खतरे में डाल रहा है।”
लेकिन भारत का रुख साफ है — जब तक पाकिस्तान अपनी धरती से आतंकी ढांचे का सफाया नहीं करता, तब तक कोई द्विपक्षीय समझौता प्रभावी नहीं रहेगा।
Indus Waters Treaty क्या है?
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1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई यह संधि विश्व की सबसे सफल जल-संधियों में मानी जाती है।
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भारत को पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलुज) का जल उपयोग करने का अधिकार मिला।
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पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चेनाब) का जल मिलता है, पर भारत कुछ सीमित मात्रा में उपयोग कर सकता है।
आगे क्या हो सकता है?
इस समय सिंधु जल संधि राजनीतिक कूटनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा का अहम मुद्दा बन चुकी है। यदि पाकिस्तान अपने आंतरिक आतंकवाद पर लगाम नहीं लगाता, तो भारत द्वारा लिया गया जल प्रवाह रोकने का फैसला भविष्य में स्थायी नीतिगत बदलाव का संकेत बन सकता है।
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