नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी सांसद Nishikant Dubey के खिलाफ आपराधिक अवमानना की याचिका दाखिल करने की अनुमति मांगने वाले याचिकाकर्ता को स्पष्ट रूप से कहा कि वह स्वतंत्र रूप से याचिका दायर कर सकते हैं और इसके लिए किसी पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं है।
#WATCH | Delhi: BJP MP Nishikant Dubey says “Chief Justice of India, Sanjiv Khanna is responsible for all the civil wars happening in this country” https://t.co/EqRdbjJqIE pic.twitter.com/LqEfuLWlSr
— ANI (@ANI) April 19, 2025
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने सोमवार को हुई सुनवाई में कहा, “आप इसे दायर करें, इसके लिए हमारी अनुमति की जरूरत नहीं है।”
क्या संसद Nishikant Dubey की सदस्यता पर मंडरा रहा है खतरा?
गोड्डा से सांसद निशिकांत दुबे की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। कोर्ट की सख्ती के बाद अब उन पर आपराधिक अवमानना की कार्रवाई शुरू हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सुप्रीम कोर्ट अवमानना का दोषी पाता है, तो उनकी संसद सदस्यता भी खतरे में पड़ सकती है।
Nishikant Dubey ने सीजेआई और सुप्रीम कोर्ट पर की थी आपत्तिजनक टिप्पणी
बीजेपी सांसद ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना पर विवादास्पद टिप्पणी करते हुए कहा था कि “अगर सुप्रीम कोर्ट को कानून बनाना है तो संसद और विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए।” इतना ही नहीं, उन्होंने देश में ‘गृह युद्ध’ जैसी स्थिति के लिए भी सीजेआई को जिम्मेदार ठहराया। इन बयानों को लेकर देशभर के कानूनी विशेषज्ञों और न्यायविदों ने नाराजगी जताई है।
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त पर भी साधा निशाना
सीजेआई पर टिप्पणी के बाद निशिकांत दुबे ने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि “आप चुनाव आयुक्त नहीं, मुस्लिम आयुक्त थे।” इस बयान को भी समुदाय विशेष के खिलाफ भड़काऊ बयान माना जा रहा है।
बीजेपी ने बनाई दूरी
बीजेपी ने दुबे के बयानों से किनारा करते हुए कहा है कि यह पार्टी का आधिकारिक मत नहीं है और संबंधित व्यक्ति की निजी राय है। पार्टी के इस रुख से संकेत मिलता है कि नेतृत्व इस मुद्दे पर बचाव की मुद्रा में है।
कानूनी नजरिए से मामला गंभीर
कानून के जानकारों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश पर इस तरह की टिप्पणी न केवल अवमानना के दायरे में आती है, बल्कि यह संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा पर भी आघात है। अब देखने वाली बात होगी कि याचिका दाखिल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट इस मामले में किस दिशा में कदम उठाता है।



