
Ranchi: झारखंड में आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए भारतीय जनता पार्टी (Jharkhand BJP) ने संगठनात्मक बदलाव किए हैं।
पूर्व सांसद रवींद्र कुमार राय को प्रदेश का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जिससे पार्टी में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। अब भाजपा की प्राथमिकता राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सहयोगी दलों को एकजुट कर राज्य में सशक्त विकल्प प्रस्तुत करना है।
Jharkhand BJP: रवींद्र कुमार राय: संगठन के अनुभवी नेता
रवींद्र कुमार राय झारखंड की राजनीति में एक प्रतिष्ठित नाम हैं। पूर्व सांसद के रूप में उनका अनुभव और संगठनात्मक कौशल पार्टी के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। उनकी नियुक्ति से कार्यकर्ताओं में उत्साह है, और यह उम्मीद की जा रही है कि उनके नेतृत्व में भाजपा राज्य में अपनी स्थिति मजबूत करेगी।
Jharkhand BJP: एनडीए को एकजुट करने की रणनीति
भाजपा ने एनडीए के सहयोगी दलों के साथ मिलकर आगामी चुनावों की रणनीति बनानी शुरू कर दी है। सीट बंटवारे को लेकर चर्चा अंतिम चरण में है। भाजपा 68 सीटों पर, जनता दल (यूनाइटेड) 2 सीटों पर, ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) 10 सीटों पर, और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) 1 सीट पर चुनाव लड़ेगी। इस समन्वय से एनडीए एकजुट होकर चुनाव मैदान में उतरेगा।
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Jharkhand BJP: सामूहिक नेतृत्व पर जोर
भाजपा इस बार मुख्यमंत्री पद के चेहरे की घोषणा किए बिना सामूहिक नेतृत्व में विश्वास जता रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री राज्य के दौरे कर कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हजारीबाग में परिवर्तन यात्रा के समापन पर विशाल रैली को संबोधित किया, जिससे कार्यकर्ताओं में नया जोश आया है।
विपक्षी दलों में असहमति का फायदा
जहां एनडीए में सीट बंटवारे पर सहमति बन चुकी है, वहीं विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम), कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के बीच कुछ सीटों पर असहमति है। धनवार, छतरपुर और बिश्रामपुर सीटों पर दोस्ताना मुकाबले की स्थिति बनी हुई है, जिसका फायदा एनडीए को मिल सकता है।
रवींद्र कुमार राय की नियुक्ति से झारखंड भाजपा में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। एनडीए के सहयोगी दलों के साथ मिलकर पार्टी एकजुट होकर आगामी चुनावों की तैयारी में जुट गई है। सामूहिक नेतृत्व और सुविचारित रणनीति के साथ भाजपा राज्य में अपनी स्थिति मजबूत करने की ओर अग्रसर है। विपक्षी दलों में असहमति की स्थिति एनडीए के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकती है।
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