New Delhi: केंद्र सरकार द्वारा UPSC में लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगाने के आदेश के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता Rahul Gandhi ने भाजपा पर तीखा हमला किया है.
Lateral entry is an attack on Dalits, OBCs and Adivasis.
BJP’s distorted version of Ram Rajya seeks to destroy the Constitution and snatch reservations from Bahujans.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 19, 2024
राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा की “लेटरल एंट्री” जैसी साजिशों को नाकाम करने के लिए वे हर संभव प्रयास करेंगे. उन्होंने दोहराया कि संविधान और आरक्षण व्यवस्था की रक्षा कांग्रेस की प्राथमिकता है. राहुल ने कहा कि भाजपा सरकार के इन प्रयासों का मुकाबला करते हुए वे 50% आरक्षण सीमा को तोड़कर जातिगत जनगणना के आधार पर सामाजिक न्याय सुनिश्चित करेंगें.
केंद्र सरकार ने UPSC को लिखे गए पत्र में स्पष्ट किया है कि लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगाने का निर्णय व्यापक पुनर्मूल्यांकन के तहत लिया गया है. सरकार ने बताया कि अधिकतर लेटरल एंट्रीज 2014 से पहले की थीं और उन्हें अस्थायी रूप से नियुक्त किया गया था. सरकार का मानना है कि लेटरल एंट्री के माध्यम से नियुक्तियों को संविधान में निहित समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप होना चाहिए और आरक्षण के प्रावधानों के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए.
सरकार के इस कदम से यह स्पष्ट होता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सामाजिक न्याय को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं और वंचित समुदायों के योग्य उम्मीदवारों का सरकारी नौकरियों में उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना चाहते हैं. यही कारण है कि इन पदों पर नियुक्तियों के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं होने के बावजूद सरकार ने इन पर समीक्षा और सुधार की आवश्यकता जताई है.
केंद्र सरकार द्वारा UPSC की लेटरल एंट्री योजना पर पुनर्विचार करते हुए 17 अगस्त को जारी किए गए विज्ञापन को रद्द करने का आदेश दिया गया है. इस निर्णय के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह मानना है कि सरकारी नौकरियों में सामाजिक न्याय की प्रतिबद्धता को सुनिश्चित करना आवश्यक है.
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उन्होंने स्पष्ट किया कि लेटरल एंट्री वाले पदों की समीक्षा की जानी चाहिए ताकि संविधान में निहित समानता और आरक्षण के सिद्धांतों का पालन किया जा सके.
Rahul Gandhi News: 17 अगस्त का आदेश क्या था?
UPSC ने 17 अगस्त को एक विज्ञापन जारी किया था जिसमें लेटरल एंट्री के माध्यम से 45 जॉइंट सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर लेवल की भर्तियां निकालने की बात कही गई थी. इस भर्ती प्रक्रिया में उम्मीदवारों को बिना UPSC की परीक्षा दिए ही भर्ती किया जाना था जो पारंपरिक भर्ती प्रक्रिया से अलग था. इस विज्ञापन में आरक्षण के प्रावधानों का अभाव था जिससे इसे लेकर विवाद शुरू हो गया.
बढ़ते विवाद के बीच सरकार का नया रुख
इस मुद्दे पर बढ़ते विवाद के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सफाई दी थी कि नौकरशाही में लेटरल एंट्री कोई नई बात नहीं है. उन्होंने बताया कि 1970 के दशक से ही कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों के दौरान भी इस तरह की नियुक्तियां होती रही हैं. उदाहरण के तौर पर उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और मोंटेक सिंह अहलूवालिया का उल्लेख किया जिन्होंने भी ऐसी पहलों का नेतृत्व किया था.
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