Ranchi: Raghubar Das: इडी के सम्मन के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी ने मुख्यमंत्री आवास के सामने जो कुछ कहा वो उनके डर, अहम और अहंकार को दर्शाता है।
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि हेमंत सोरेन को ईडी के सामने हाजिर होना चाहिए. pic.twitter.com/qSu5YZD9tk
— News18 Jharkhand (@News18Jharkhand) November 4, 2022
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मुख्यमंत्री ने कोई गलत काम नहीं किया है, तो उन्हें डर किस बात का है: Raghubar Das
इसी तरह की हुंकार कभी लालू यादव बिहार में भरा करते थे। उनका क्या नतीजा हुआ, यह किसी से छिपा नहीं है। जब मुख्यमंत्री ने कोई गलत काम नहीं किया है, तो उन्हें डर किस बात का है। एक तरफ वो संवैधानिक संस्था इडी को सार्वजनिक रूप से धमका रहे हैं, दूसरी तरफ वो उसी संस्था से तीन सप्ताह का समय भी मांग रहे हैं।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भूल रहे हैं कि हमारे देश में लोकतंत्र है, राजतंत्र नहीं: Raghubar Das
जब जब भ्रष्टाचार में लिप्त ऐसे नेताओं पर कानून का शिकंजा कसता है, तब वो संवैधानिक संस्थाओं को धमकाने का काम करते हैं। लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भूल रहे हैं कि हमारे देश में लोकतंत्र है, राजतंत्र नहीं। कानून को कानून की तरह काम करने देना चाहिए। बेहतर तो यही होता कि मुख्यमंत्री इडी को धमकाने के बजाय उसके सामने जाकर अपना पक्ष रखते। इसी तरह नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित पूरी कांग्रेस पार्टी हो हल्ला मचा रही थी।
आखिरकार सोनिया गांधी और राहुल गांधी को कानून के सामने जाना ही पड़ा।
कांग्रेस, झामुमो और राजद की तरह भाजपा परिवार की पार्टी नहीं है कि हेमंत सोरेन भाजपा कार्यकर्ताओं को धमकायेंगे और वो डर जायेंगे। भाजपा कार्यकर्ताओं के संघर्ष की वजह से ही केंद्र सहित देश के कई राज्यों में आज भाजपा की सरकार है। झारखंड में कार्यरत अधिकारियों को निष्पक्ष होकर काम करने की जरूरत है। न पक्ष, न विपक्ष उन्हें निष्पक्ष होकर काम करना चाहिए।
CM को यह आक्रोश आदिवासी बच्चियों के साथ बलात्कार होने पर दिखाना चाहिए: Raghubar Das
हेमंत सोरेन को अपना यह आक्रोश आदिवासी बच्चियों के साथ बलात्कार होने पर दिखाना चाहिए। तब वो मौन रहते हैं। खुद को भ्रष्टाचार पर कार्रवाई होने पर उन्हें आदिवासी समाज याद आता है। आदिवासी समाज का उत्थान विकास से होगा, न कि हेमंत सोरेन के भ्रष्टाचार से। भ्रष्टाचार से सोरेन परिवार का तो उत्थान हो सकता है, लेकिन आम आदिवासी को इससे कोई लाभ नहीं मिलनेवाला है।