CrimeHeadlinesJharkhandNationalPoliticsStatesTrending

Human Trafficking के शिकार झारखंड के 14 बच्चों को दिल्ली में कराया गया मुक्त

मुक्त होनेवालों में साहेबगंज जिले के 3 बालक एवं 11 बालिकाएं शामिल

रांचीः मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन के सार्थक प्रयास से लगातार मानव तस्करी (Human Trafficking) के शिकार बालक/बालिकाओं को मुक्त कराकर उनके घरों में पुनर्वास किया जा रहा है।

उसी कड़ी में मानव तस्करी के शिकार झारखंड के साहेबगंज जिले के 3 बालक एवं 11 बालिकाओं को दिल्ली में मुक्त कराया गया है।

इन बच्चों से काउंसेलिंग के दौरान यह पता चला कि रेखा (काल्पनिक नाम) नाम की एक 12 वर्षीय बच्ची को उसके गाँव के एक व्यक्ति ने अपहरण कर एक वर्ष पूर्व दिल्ली लाकर एक साल तक दिल्ली के विभिन्न इलाकों की कोठियों में घरेलू कार्य हेतु लगाया। इसका बच्ची द्वारा विरोध करने पर उसे रेड लाइट एरिया में ले जाकर बेच दिया गया। वहां से एक दिन मौका देखकर वह खिड़की से कूदकर भाग निकली एवं एक ऑटो वाले की मदद से पुलिस स्टेशन पहुँच गई।

पुलिस द्वारा झारखंड भवन से समन्वय स्थापित किया गया और बच्ची के घर का पता लगाया गया। बता दें कि रेखा की माँ की मृत्यु हो चुकी है और पिता ने दूसरी शादी कर ली है। घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण गाँव के एक व्यक्ति द्वारा जबरन उसे दिल्ली लाया गया था ।

Human Trafficking: दिल्ली में एकीकृत पुनर्वास संसाधन केंद्र चलाया जा रहा है

मानव तस्करी पर झारखंड सरकार तथा महिला एवं बाल विकास विभाग काफी संवेदनशील है और त्वरित कार्यवाही पर विश्वास रखती है। यही कारण है कि दिल्ली में एकीकृत पुनर्वास संसाधन केंद्र चलाया जा रहा है । जिसका काम है मानव तस्करी के शिकार बच्चें एवं बच्चियों को मुक्त कराकर उनके जिलों में पुनर्वासित करना ।

इसका टोल फ्री नम्बर – 10582 है, जो 24 घंटे सातों दिन कार्य करता है । इसकी नोडल ऑफिसर श्रीमती नचिकेता द्वारा बताया गया कि यह केंद्र दिल्ली में प्रधान स्थानिक आयुक्त श्री मस्तराम मीना की देखरेख में एवं महिला एवं बाल विकास विभाग, झारखंड सरकार के अंतर्गत कार्य करती है । हमारे सचिव श्री कृपानंद झा मानव तस्करी के मुद्दे पर काफ़ी संवेदनशील हैं उनके द्वारा सख्त निर्देश दिया गया है कि दिल्ली एवं उसके निकटवर्ती सीमा क्षेत्र पर विशेष नजर रखी जाये।

उसी क्रम में हमें इस बार बड़ी कामयाबी मिली। और साहेबगंज जिले के 14 बच्चों में से 09 बच्चों को दिल्ली पुलिस के सहयोग से दिल्ली के सीमावर्ती क्षेत्र हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश से मुक्त कराया गया है।

Human Trafficking के मुददे पर तत्वरित कार्यवाही की गयी

महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक श्री छवि रंजन द्वारा सभी जिले को सख्त निर्देश दिया गया है कि जिस भी जिले के बच्चे को दिल्ली में रेस्क्यू किया जाता है, उस जिले के जिला समाज कल्याण पदाधिकारी एवं बाल संरक्षण पदाधिकारी द्वारा उन्हें वापस उनके जिले में पुनर्वास किया जाएगा। इसी कड़ी में साहेबगंज जिला प्रशासन द्वारा यह पता चलते ही कि उनके बच्चें दिल्ली में रेस्क्यू किये गए हैं, इस मुददे पर तत्वरित कार्यवाही की गयी।

श्रीमती गुप्ता ने जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी पूनम कुमारी के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया। बता दें कि यह टीम पिछले 06 दिनों से दिल्ली में कैम्प कर आज 14 बच्चों के साथ वापस ट्रेन द्वारा झारखंड लौट रही है। जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी द्वारा यह जानकारी दि गयी कि इन सभी बच्चों को झारखंड सरकार की विभिन्न योजनाओं से जोड़ते हुए इनकी सतत् निगरानी की जाएगी, ताकि ये बच्चें दोबारा मानव तस्करी का शिकार ना होने पाएँ।

दिल्ली के विभिन्न बालगृहों का भ्रमण कर Human Trafficking के शिकार  बच्चे, युवतियों को वापस भेजने की कार्रवाई की जा रही है

गौरतलब है कि स्थानिक आयुक्त श्री मस्तराम मीणा के निर्देशानुसार एकीकृत पुनर्वास-सह-संसाधन केंद्र, नई दिल्ली द्वारा लगातार दिल्ली के विभिन्न बालगृहों का भ्रमण कर मानव तस्करी के शिकार, भूले- भटके या किसी के बहकावे में फंसकर असुरक्षित पलायन कर चुके बच्चे, युवतियों को वापस भेजने की कार्रवाई की जा रही है।

इसे लेकर दिल्ली पुलिस, बाल कल्याण समिति, नई दिल्ली एवं सीमावर्ती राज्यों की बाल कल्याण समिति से लगातार समन्वय स्थापित कर मानव तस्करी के शिकार लोगों की पहचान कर मुक्त कराया जा रहा है। उसके बाद मुक्त लोगों को सुरक्षित उनके गृह जिला भेजने का कार्य किया जा रहा है, जहां उनका पुनर्वास किया जा रहा है।

Human Trafficking: दलालों के माध्यम से पलायन किये थे

दिल्ली से मुक्त कराये गए बच्चों को दलालों के माध्यम से लाया गया था। झारखंड में ऐसे दलाल बहुत सक्रिय हैं, जो छोटी बच्चियों को बहला-फुसलाकर अच्छी जिंदगी जीने का लालच देकर उन्हें दिल्ली लाते हैं और विभिन्न घरों में उन्हें काम पर लगाने के बहाने से बेच देते हैं। इससे उन्हें एक मोटी रकम प्राप्त होती है और इन बच्चियों की जिंदगी नर्क से भी बदतर बना दी जाती है।

Human Trafficking: माता-पिता भी हैं जिम्मेदार

दलालों के चंगुल में बच्चों को भेजने में उनके माता-पिता की भी अहम भूमिका होती है । कई बार ऐसा देखा गया है कि बच्चे अपने माता पिता, अपने रिश्तेदारों की सहमति से ही दलालों के चंगुल में फँसकर मानव तस्करी के शिकार बन जाते हैं।

Human Trafficking: मुक्त लोगों की होगी सतत निगरानी

समाज कल्याण महिला बाल विकास विभाग के निर्देशानुसार झारखंड भेजे जा रहे बच्चों को जिले में संचालित कल्याणकारी योजनाओं, स्पॉन्सरशिप, फॉस्टरकेयर, कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय से जोड़ते हुए उनकी ग्राम बाल संरक्षण समिति (VLCPC)) के माध्यम से सतत निगरानी की जाएगी, ताकि इन्हें पुन: मानव तस्करी का शिकार होने से बचाया जा सके। एस्कॉर्ट टीम में एकीकृत पुनर्वास-सह- संसाधन केंद्र की परामर्शी सुश्री निर्मला खलखो एवं कार्यालय सहायक श्री राहुल कुमार ने बहुत अहम भूमिका निभाई।

 

 

 

 

यह भी पढे: 27% ओबीसी, 28% एसटी, 12% एससी आरक्षण झारखंड विधानसभा में पारित

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button