
रांची। झारखंड लोक मंच (जेएलकेएम) के अध्यक्ष और डुमरी विधायक Jairam Mahto ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखकर बोकारो स्टील लिमिटेड (BSL) गेट पर हाल में हुए विरोध प्रदर्शन और लाठीचार्ज की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
विडंबना देखिए की मारा भी गया विस्थापित और BSL प्रबंधन द्वारा 500 विस्थापित लोगो पर मुकदमा भी कर दिया गया.
मैंने माननीय केंद्रीय गृह मंत्री से अनुरोध किया है की विस्थापितों के हक और अधिकार हेतु एक उच्च स्तरीय समिति का गठन कर दशकों से चली आ रही समस्या का निदान करें.@AmitShah pic.twitter.com/033GSNWh6w— Tiger jairam mahto (@JairamTiger) April 16, 2025
उन्होंने आरोप लगाया है कि विस्थापितों और रैयतों के साथ अन्याय हुआ है और उनके खिलाफ अनुचित रूप से केस दर्ज किए गए हैं।
Jairam Mahto News: प्रदर्शन में एक की मौत, 500 लोगों पर केस
बोकारो में 3 और 4 अप्रैल को बीएसएल गेट के बाहर विस्थापितों और रैयतों ने नियोजन और मुआवजे की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था। प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसमें प्रेम महतो नामक एक युवक की मौत हो गई। इस घटना ने स्थानीय राजनीति और प्रशासनिक रवैये पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
Jairam Mahto News: 50 लाख और नौकरी का मुआवजा, फिर भी केस दर्ज
बीएसएल प्रबंधन ने मृतक के परिजनों को ₹50 लाख मुआवजा और स्थानीय नौकरी देने की घोषणा की थी। लेकिन इसके बावजूद, प्रदर्शन में शामिल लगभग 500 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है, जिससे विस्थापितों और रैयतों में भारी नाराजगी है।
Jairam Mahto ने जताई चिंता
अपनी चिट्ठी में जयराम महतो ने लिखा है,
“यह घटना सिर्फ प्रशासनिक असंवेदनशीलता नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक अधिकारों के दमन का मामला है। मारे गए युवक को मुआवजा देना एक बात है, लेकिन उसके बाद जिन लोगों ने अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाई, उन पर मुकदमा करना पूरी तरह अन्यायपूर्ण है। गृह मंत्रालय को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए।”
उन्होंने मांग की है कि उच्चस्तरीय जांच कमेटी गठित कर यह देखा जाए कि लाठीचार्ज की जरूरत क्यों पड़ी और एफआईआर में नामजद लोगों के खिलाफ कार्रवाई की वैधता क्या है।
राजनीतिक संदेश और आगामी रणनीति
यह चिट्ठी ऐसे समय में आई है जब झारखंड में राजनीतिक हलचल तेज है। एक ओर झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) अपने संगठन को मजबूत कर रही है, वहीं भाजपा भी प्रदेश अध्यक्ष बदलने की तैयारी में है। ऐसे में विस्थापितों के मुद्दे को केंद्र में लाकर जयराम महतो ने खुद को जन अधिकारों के एक मजबूत पैरोकार के रूप में पेश किया है।



