रांची: झारखण्ड सरकार की समन्वय समिति के सदस्य और झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष Bandhu Tirkey ने कहा है कि झारखण्ड की जनजातीय संस्कृति के बलबूते केवल आदिवासी समाज का ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण झारखण्ड का हित समाहित है. उन्होंने कहा कि झारखण्ड की सभ्यता-संस्कृति का संरक्षण और उसे बढ़ावा देना झारखण्ड में रहनेवाले प्रत्येक व्यक्ति के लिये जरूरी है भले ही वह किसी भी जाति, धर्म, संप्रदाय या वर्ग से हो.
इस बात को ना केवल दुनिया की कोई भी विकसित सभ्यता बल्कि विलुप्त हो गयी सभ्यता भी प्रमाणित करती है: Bandhu Tirkey
Bandhu Tirkey ने कहा कि झारखण्ड में न केवल अनेक अधिकारी या अधिकांश लोग बल्कि अनेक नेता भी इस मानसिकता के शिकार हैं कि झारखण्ड की जनजातीय संस्कृति-सभ्यता, रहन-सहन, भाषा आदि में केवल और केवल यहां के जनजातीय समुदाय का हित समाहित है लेकिन यह धारणा पूरी तरीके से गलत है. उन्होंने कहा कि, इस बात को ना केवल दुनिया की कोई भी विकसित सभ्यता बल्कि विलुप्त हो गयी सभ्यता भी प्रमाणित करती है.
श्री तिर्की ने दोहराया कि किसी भी क्षेत्र की मौलिक सभ्यता-संस्कृति और बोलचाल के बलबूते पर वहाँ रहनेवाले सभी जाति, धर्म, संप्रदाय आदि का विकास होता है और सभी की गरिमा बहाल होती है. झारखण्ड के दक्षिणी छोटानागपुर, संथाल, पलामू, कोल्हान, उत्तरी छोटानागपुर अर्थात सभी प्रमंडलों और वहाँ रहनेवाले सभी जनजातीय समुदायों की अपनी विशिष्ट सभ्यता-संस्कृति, पर्व-त्योहार और भाषा या पहचान है और उसका संरक्षण सरकार की मौलिक जवाबदेही है.
यह झारखण्ड सरकार की वैसी सबसे पहली जिम्मेदारी है जिसके लिये अलग झारखण्ड के लिये लड़ाई लड़ी गयी: Bandhu Tirkey
उन्होंने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से माँग की कि झारखण्ड में सभी स्थानों पर आयोजित होनेवाले मंडा पूजा, जेठ जतरा, सोहराई जतरा, दसई जतरा, इन जतरा आदि के साथ ही प्रत्येक जनजातीय त्योहार के आयोजन के लिये राज्य सरकार विशेष कोष स्थापित करे. ऐसे प्रावधान से वैसी सभी आयोजन समितियों को राशि उपलब्ध कराने के लिये एक मैकेनिज़्म विकसित किया जाना चाहिये. उन्होंने कहा कि यह झारखण्ड सरकार की वैसी सबसे पहली जिम्मेदारी है जिसके लिये अलग झारखण्ड के लिये लड़ाई लड़ी गयी.
श्री तिर्की ने कहा कि, झारखण्ड की मौलिक पहचान को आधार बनाकर ही यहाँ रहनेवाले सभी लोगों का आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक विकास किया जाना चाहिये. वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि झारखण्ड की समृद्धि सभ्यता-संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन और प्रोत्साहन के लिये सरकार को विशेष अभियान चलाना चाहिये और इसके लिए युद्धस्तर पर काम किया जाना चाहिये.
उन्होंने कहा कि एक व्यापक जन जागरूकता अभियान शुरू किया जाना चाहिये जिसके तहत न केवल जनजातीय समुदाय बल्कि झारखण्ड में रहनेवाले प्रत्येक व्यक्ति को यहाँ की सभ्यता-संस्कृति से परिचित कराया जाना चाहिये और उन्हें बताया जाना चाहिए इसी में उनका भी हित समाहित है.
सन 2000 में झारखण्ड गठन के बाद पिछले 22 साल में हुई इस नये राज्य की दुर्गति: Bandhu Tirkey
Bandhu Tirkey ने कहा कि सन 2000 में झारखण्ड गठन के बाद पिछले 22 साल में हुई इस नये राज्य की दुर्गति और इसके साथ ही विशेष रूप से यहाँ रहनेवाले आदिवासियों एवं मूलवासियों के पिछड़ेपन का सबसे बड़ा कारण यहाँ की सभ्यता-संस्कृति के मामले में सरकार का उदासीन रवैया भी है और अधिकांश योजनायें केवल हल्ला-गुल्ला का शिकार बन जाती है और वह जमीनी स्तर पर प्रभावी रूप में नजर नहीं आती