जमशेदपुर – झारखंड के पूर्व मंत्री Raja Peter दिल्ली में जनता दल (यूनाइटेड) पार्टी में शामिल हो गए, जिससे आगामी चुनावों से पहले राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में संभावित बदलाव का संकेत मिलता है।
झारखंड के पूर्व मंत्री Raja Peter जनता दल (यूनाइटेड) में शामिल हुए
अपनी राजनीतिक सूझबूझ के लिए मशहूर पीटर ने नई दिल्ली स्थित पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में जेडी(यू) की सदस्यता ग्रहण की। उनका स्वागत राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने किया। यह कदम जेडी(यू) द्वारा झारखंड में अपनी उपस्थिति मजबूत करने के प्रयास के तहत उठाया गया है। पीटर के प्रवेश को पार्टी के लिए एक रणनीतिक अधिग्रहण के रूप में देखा जा रहा है।
2009 में जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन पर उनकी पिछली जीत महत्वपूर्ण है। उस जीत ने सोरेन को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया था। पीटर की राजनीतिक यात्रा पार्टियों के बीच बदलावों से चिह्नित रही है। उन्होंने पहले तमार निर्वाचन क्षेत्र में जेडी(यू) के टिकट पर चुनाव लड़ा था। जेडी(यू) में उनकी वापसी से क्षेत्र में पार्टी की संभावनाओं पर असर पड़ सकता है। जेडी(यू) कथित तौर पर आगामी चुनावों के लिए भाजपा के साथ गठबंधन को अंतिम रूप दे रही है।
सूत्रों का कहना है कि पार्टी तमार सहित दो सीटों से चुनाव लड़ सकती है। पीटर की तमार से उम्मीदवारी की संभावना है, क्योंकि वहां उनकी पिछली सफलता है। जेडी(यू) के साथ भाजपा की गठबंधन रणनीति झारखंड के राजनीतिक समीकरणों को नया रूप दे सकती है।
Raja Peter की कानूनी चुनौतियां और राजनीतिक वापसी
पीटर रमेश सिंह मुंडा हत्या मामले में आरोपों का सामना कर रहे हैं। उन्हें 2017 में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन हाल ही में झारखंड उच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत दे दी। कानूनी परेशानियों के बावजूद, पीटर का राजनीतिक करियर अभी खत्म नहीं हुआ है। उनका जेडी(यू) में शामिल होना दर्शाता है कि पार्टी उनके स्थानीय प्रभाव का लाभ उठाने के लिए तैयार है।
जेडी(यू) का पिछला प्रदर्शन और भविष्य की आकांक्षाएं
झारखंड में पार्टी का चुनावी प्रदर्शन 2005 से गिरता जा रहा है। 2014 में जेडी(यू) राज्य विधानसभा चुनावों में कोई भी सीट जीतने में विफल रही। पीटर जैसे अनुभवी नेताओं की भर्ती करके जेडी(यू) इस प्रवृत्ति को उलटने का लक्ष्य रखता है।
पार्टी को झारखंड की राजनीति में अपनी पुरानी ताकत फिर से हासिल करने की उम्मीद है। आगामी चुनाव जेडी(यू) की नई रणनीति और नए गठबंधनों की परीक्षा लेंगे।