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स्थानीय नीति के नाम पर राजनीति कर रही सरकार: Sudesh Mahto

झारखंडी जनभावनाओं से जुड़े विषयों को सुलझाने के बजाए उलझाने में व्यस्त है सरकार

Ranchi: Sudesh Mahto: राज्यपाल द्वारा 1932 आधारित स्थानीय नीति के प्रस्ताव को वापस किए जाने पर आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष एवं झारखंड के पूर्व उपमुख्यमंत्री श्री सुदेश कुमार महतो ने कहा कि राज्य सरकार इस मुद्दे को लेकर कभी भी गंभीर नहीं रही.

और ना ही विधानसभा में इस विषय पर चर्चा कराई गई और ना ही इसे संवैधानिक और विधि सम्मत तैयार किया गया, जिसका हश्र हुआ कि आज स्थानीय नीति के प्रस्ताव को राज्यपाल द्वारा वापस कर दिया गया।

वर्तमान सरकार और उनसे जुड़े लोग ना झारखंड आंदोलन के दौरान ईमानदार थे और ना ही आज: Sudesh Mahto

आजसू पार्टी शुरू से ही यह कहते आई है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा स्थानीय नीति को लेकर राजनीतिक-भावनात्मक रुप से जनता के साथ खिलवाड़ करने का काम कर रही है तथा झारखंडी जनभावनाओं से जुड़े विषयों को सुलझाने के बजाए उलझाने का काम कर रही। वर्तमान सरकार और उनसे जुड़े लोग ना झारखंड आंदोलन के दौरान ईमानदार थे और ना ही आज।

खतियान आधारित नियोजन नीति झारखंडी युवाओं की बहुप्रतीक्षित मांग रही है तथा झारखंडियों के हक-अधिकार से जुड़ा विषय है। वेकेंसी, परीक्षा के इंतजार में लाखों युवाओं को वैसे ही सरकार निराश करती रही है। नियुक्तियों की मामूली प्रक्रिया भी शुरु हुई है, वो भी बगैर नियोजन नीति तय हुए। इससे झारखंडी युवाओं में भरी असंतोष है। आजसू पार्टी खतियान आधारित स्थानीय नीति के साथ नियोजन नीति लागू करने की पक्षधर रही है।

मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर स्थानीय नीति के साथ साथ नियोजन नीति लागू करने की मांग भी की: Sudesh Mahto

खतियान के आधार पर नियोजन नीति बनने से ही यहां के लोगों को नौकरियों में वाजिब हक मिलेगा। इसे लेकर हमने विभिन्न मंचों के माध्यम से सरकार से आग्रह भी किया तथा माननीय मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर स्थानीय नीति के साथ साथ नियोजन नीति लागू करने की मांग भी की।

आजसू पार्टी सामाजिक न्याय के विषय को लेकर भी हमेशा मुखर रही है। हमारा यह स्पष्ट मंतव्य है कि आबादी के अनुसार ही आरक्षण का दायरा सुनिश्चित हो। इसके लिए जातीय जनगणना की निहायत जरूरत है। हम शुरु से इस बात के पक्षधर रहे हैं कि ट्रिपल टेस्ट के आधार पर आरक्षण नीति तय हो।

सरकार की नीतियां मुद्दों को लटकाने तथा विषयों को उलझाने वाले हैं और यही उनकी नीयत भी रही है। सरकार ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चक्कर में हड़बड़ी में निर्णय लेकर चुनौतियों का द्वार खोल दिया है।

 

 

 

 

 

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