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शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप पद सृजन और पढ़ाई के बिना परीक्षा लेना गलत : Bandhu Tirkey

Ranchi: झारखण्ड सरकार की समन्वय समिति के सदस्य एवं झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष Bandhu Tirkey ने कहा है कि 2020 में केन्द्र सरकार द्वारा नयी शिक्षा नीति लागू होने के बाद जिन नये विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है उसके लिये शिक्षकों व शिक्षकेतर कर्मचारियों की नियुक्ति और उन विषयों की पढ़ाई के बिना उसकी परीक्षा लेना पूरी तरीके से गलत है.

इसे किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं ठहराया जा सकता: Bandhu Tirkey

Bandhu Tirkey ने कहा कि ऐसे कदमों के कारण अंतिम में कदाचार को ही प्रोत्साहन मिलता है और कुल मिलाकर यह शिक्षा के मूलभूत उद्देश्यों से भटकाव है. इसे किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं ठहराया जा सकता. उन्होंने कहा कि मशरूम की खेती, जैविक क़ृषि, रिटर्न की ई-फाइलिंग, डिजिटल मार्केटिंग, अंग्रेजी अभिव्यक्ति, मछली पालन, मधुमक्खी पालन, टेक्सटाइल प्रबंधन, शेयर मार्केट का परिचय, वानिकी एवं वन्य जीव, सौंदर्य और तंदुरुस्ती जैसे अनेक विषय वैसे हैं जिसे 2020 की नयी शिक्षा नीति के तहत नये विषय के रूप में पाठ्यक्रम में शामिल किया गया था.

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कथनी और करनी के बीच चौड़ी खाई: Bandhu Tirkey

लेकिन कथनी और करनी के बीच चौड़ी खाई का ही यह परिणाम है कि नीतियों को जमीनी स्तर पर लागू नहीं करने के कारण ना तो महाविद्यालय व विश्वविद्यालय स्तर पर नये विषयों के शिक्षकों एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों की नियुक्ति की गयी और न ही उन विषयों में महाविद्यालय या विश्वविद्यालय स्तर पर पढ़ाई की कोई वैकल्पिक व्यवस्था ही की गयी और ना ही इस मामले में सरकार या विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा किसी अन्य व्यवस्था को लागू करने पर गौर किया गया या कोई नीतिगत निर्णय लिया गया.

उन विषयों की परीक्षा को अविलंब रोका जाये जिन विषयों कोई पठन-पाठन ही हुआ है: Bandhu Tirkey

Bandhu Tirkey ने कहा कि 3 वर्षो का लम्बा समय गुजर चुका है और आज स्थिति यह है कि संबंधित विद्यार्थियों को उन विषयों की परीक्षा देनी पड़ रही है जिसका उन्होंने औपचारिक रूप से कभी अध्ययन ही नहीं किया. मांग की है कि उन विषयों की परीक्षा को अविलंब रोका जाये जिन विषयों के ना तो शिक्षक हैं और ना ही जिसमें कोई पठन-पाठन ही हुआ है. साथ ही उन विषयों की पढ़ाई के लिये सरकार एवं विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अविलंब कोई वैकल्पिक व्यवस्था की जाये और तत्पश्चात उन विषयों की परीक्षा ली जाये.

Bandhu Tirkey ने कहा कि यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो इससे एक नकारात्मक संदेश जायेगा और यह कुल मिलाकर न तो शिक्षा के सिद्धांतों के तहत सही है और ना ही झारखण्ड में शैक्षणिक स्थिति के दृष्टिकोण से ही सही है.

 

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