Chirag Paswan: बिहार की राजनीति में चूड़ा-दही भोज का अपना एक अलग महत्व है। मकर संक्रांति के अवसर पर राजनीतिक दलों और नेताओं द्वारा आयोजित इस भोज को आपसी संवाद और सौहार्द का प्रतीक माना जाता है।
लेकिन इस बार चिराग पासवान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच चल रही राजनीतिक तनातनी ने इस परंपरा को भी विवादास्पद बना दिया है। चिराग पासवान द्वारा आयोजित चूड़ा-दही भोज में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उपस्थिति के बावजूद चिराग का न पहुंचना चर्चा का विषय बन गया है।
चूड़ा-दही भोज में क्या हुआ?
मकर संक्रांति के मौके पर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने पटना में चूड़ा-दही भोज का आयोजन किया। बिहार की राजनीतिक परंपरा के अनुसार, इसमें सभी दलों के नेताओं को आमंत्रित किया गया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस भोज में पहुंचे, लेकिन चिराग पासवान खुद वहां मौजूद नहीं थे। उनकी अनुपस्थिति ने भोज को एक राजनीतिक चर्चा का केंद्र बना दिया।
Chirag Paswan की गैरमौजूदगी: इरादे पर सवाल
चिराग पासवान का अपने ही भोज में अनुपस्थित रहना कई सवाल खड़े करता है। ऐसा माना जा रहा है कि उन्होंने जानबूझकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को संदेश देने के लिए यह कदम उठाया। पिछले कुछ समय से चिराग पासवान और नीतीश कुमार के बीच तल्खी खुलकर सामने आई है। चिराग ने कई बार सार्वजनिक मंचों पर नीतीश कुमार की नीतियों और नेतृत्व की आलोचना की है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चिराग पासवान ने अपनी गैरमौजूदगी के जरिए यह दिखाने की कोशिश की है कि वे नीतीश कुमार को गंभीरता से नहीं लेते। यह नीतीश कुमार के लिए राजनीतिक और व्यक्तिगत दोनों स्तरों पर एक प्रकार की बेइज्जती के समान है।
नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया
चूड़ा-दही भोज में नीतीश कुमार ने अपनी ओर से सहजता बनाए रखी। उन्होंने भोज में शामिल होकर अपनी राजनीतिक परंपरा का पालन किया। हालांकि, चिराग की अनुपस्थिति पर उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की। लेकिन यह स्पष्ट है कि इस घटना ने नीतीश कुमार को असहज किया होगा।
राजनीतिक निहितार्थ
बिहार की राजनीति में इस घटना के दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं। चिराग पासवान ने पहले ही नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। उनकी यह रणनीति आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में उनकी राजनीतिक स्थिति को मजबूत कर सकती है।
चिराग पासवान ने यह संकेत दिया है कि वे अपनी अलग राह पर चलने के लिए तैयार हैं। इस घटना के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि उनकी पार्टी का झुकाव बीजेपी की ओर अधिक है। चिराग के इस कदम से एनडीए को लाभ हो सकता है, जबकि नीतीश कुमार की महागठबंधन सरकार पर दबाव बढ़ेगा।
Chirag Paswan और नीतीश की तनातनी का कारण
नीतीश कुमार और चिराग पासवान के बीच विवाद का मुख्य कारण पिछले विधानसभा चुनाव हैं। चिराग ने तब जेडीयू के खिलाफ अपने उम्मीदवार खड़े किए थे, जिससे जेडीयू को नुकसान हुआ। इसके बाद से ही दोनों नेताओं के बीच संबंध खराब हो गए हैं।