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Soren Sarkar का KILA के साथ जल्द होगा एमओयू साइन

Ranchi: Soren Sarkar: केंद्र सरकार ने पत्र लिखकर सभी राज्यों से आग्रह किया था कि पंचायतों को आइएसओ प्रमाणित किया जाए. इसके लिए हाल ही में प्रदेश के कई विधायकों और सीएसओ फोरम के मेंबर्स ने केरल का दौरा किया था.

हेमंत सोरेन (Hemant Soren) सरकार ने इस काम के लिए केरला इंस्टीट्यूट ऑफ लोकल एडमिनिस्ट्रेशन (कीला) की मदद लेने का फैसला किया है. बता दें कि, पंचायती राज विभाग और कीला के बीच इस संबंध में एमओयू साइन होने वाला है. बताया जा रहा है कि सरकार ने ड्राफ्ट भी तैयार कर लिया है. साथ ही विभाग इसमें झारखंड सिविल सोसायटी का भी सहयोग लेने पर विचार कर रहा है. गौरतलब है कि, केरला इंस्टीट्यूट ऑफ लोकल एडमिनिस्ट्रेशन पंचायतों को बकायदा सर्टिफिकेट भी देता है.

केंद्र सरकार ने पत्र लिखकर सभी राज्यों से आग्रह किया था कि पंचायतों को आइएसओ प्रमाणित किया जाए. इसके लिए हाल ही में प्रदेश के कई विधायकों और सीएसओ फोरम के मेंबर्स ने केरल का दौरा किया था. वहीं जाकर इन्होंने पंचायती राज व्यवस्था की जानकारी ली थी. इस दौरान कीला के अधिकारियों से भी मुलाकात हुई थी. बता दें कि केंद्र सरकार ने इस काम के लिए कीला को अधिकृत किया है.

Soren Sarkar: जनप्रतिनिधियों को मिलेगा प्रशिक्षण कोर्स

कीला जनप्रतिनिधियों के लिए प्रशिक्षण कोर्स और मॉड्यूल डिजाइन करेगा. साथ ही आकलन किया जाएगा कि पंचायतों की प्राथमिक सुविधा कैसी है. वहां क्या होना चाहिए? इसमें डाटा कलेक्शन, पेयजल उपलब्धता, स्वास्थ्य तथा आंगनबाड़ी केंद्र के बारे में जानकारी ली जाएगी. साथ ही सुधार कैसे किया जाए इस बारे में जनप्रतिनिधियों को बताया जाएगा. बेहतर विकास के लिए क्षमता निर्माण हेतु संयुक्त रूप से कार्यशाला, सेमिनार और फैकल्टी विकास कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.

Soren Sarkar: पंचायतों का हुआ चयन

चुनिंदा 50 जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को एक्सपोजर विजिट का मौका मिलेगा. कीला, पंचायतों में जल संरक्षण, आजीविका, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग करेगा. वहीं इस काम के लिए कीला प्रति पंचायत 30 हजार रुपये फीस भी लेता है. आइएसओ प्रमाण पत्र 3 साल के लिए मान्य होगा. पंचायतों की पूरी व्यवस्था चाक-चौबंद होगी. पंचायतों में जो सुविधाएं हैं उन्हें सुदृढ़ किया जाएगा. ऑफिस में व्यवस्थाएं दुरुस्त की जाएगी.

फाइलें सुरक्षित हो इसका उपाय किया जाएगा. काफ़ी पंचायतों को इस काम के लिए नियुक्त किया गया है.

 

 

 

 

 

 

 

 

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