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चुनाव प्रचार पर Mohan Bhagwat की नसीहत, बोले- मर्यादा जरूरी, सच्चा सेवक घमंड नहीं करता

Nagpur: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में चुनावों के दौरान राजनीतिक बयानबाजी पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है.

नागपुर में एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि हाल के लोकसभा चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों ने मर्यादा का पालन नहीं किया. उन्होंने जोर दिया कि असली जनसेवक वही होता है जो अहंकार से मुक्त होता है और सार्वजनिक जीवन में मर्यादा बनाए रखता है. भागवत ने कहा कि चुनाव खत्म हो चुके हैं परिणाम आ चुके हैं और नई सरकार भी बन गई है लेकिन चुनावों की चर्चा अभी भी जारी है. उन्होंने कहा “जो हुआ वह क्यों हुआ यह समझना जरूरी है.

संघ के लोग इस चर्चा में नहीं पड़ते, हम अपना कर्तव्य निभाते रहते हैं: Mohan Bhagwat

हमारे प्रजातांत्रिक देश में हर पांच साल में चुनाव होते हैं और यह देश के संचालन के लिए महत्वपूर्ण है. लेकिन हम इस चर्चा में उलझे रहें यह महत्वपूर्ण नहीं है. समाज ने अपना मत दे दिया है और उसके अनुसार अब काम हो रहा है. संघ के लोग इस चर्चा में नहीं पड़ते, हम अपना कर्तव्य निभाते रहते हैं.”

RSS प्रमुख ने आगे कहा कि जो वास्तविक सेवक है उसकी एक मर्यादा होती है. सभी लोग काम करते हैं लेकिन काम करते समय मर्यादा का पालन करना भी जरूरी है. उन्होंने बुद्ध के उपदेश का उदाहरण देते हुए कहा “कुशलस्य उपसंपदा” यानी शरीर को भूखा नहीं रखना है लेकिन कौशलपूर्वक जीविका कमानी है जिससे दूसरों को कोई नुकसान न हो. यह मर्यादा निहित है और इसी तरह की मर्यादा के साथ हम लोग काम करते हैं.

चित्त अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन साथ चलना जरूरी है: Mohan Bhagwat

जो मर्यादा का पालन करता है उसमें अहंकार नहीं आता और वही सेवक कहलाने का अधिकारी है. भागवत ने यह भी कहा कि चुनाव में स्पर्धा होती है और किसी को पीछे रहना पड़ता है. लेकिन इसमें भी मर्यादा का पालन करना चाहिए और असत्य का उपयोग नहीं करना चाहिए. चुनाव का उद्देश्य संसद में बैठकर सहमति बनाकर देश का संचालन करना है. चित्त अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन साथ चलना जरूरी है.

सबका चित्त एक जैसा नहीं हो सकता इसलिए बहुमत का प्रयोग किया जाता है. सिक्के के दोनों पहलू होते हैं और इसी कारण संसद में सत्ता और प्रतिपक्ष की व्यवस्था है.

भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा में भी बढ़ोतरी हुई: Mohan Bhagwat

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में देश की मौजूदा स्थिति और सरकार के कार्यकाल पर अपने विचार साझा किए. उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार फिर से सत्ता में आ गई है और पिछले दस सालों में देश ने कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की है. भागवत ने आर्थिक और सामरिक स्थिति के सुधार का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा में भी बढ़ोतरी हुई है. कला और खेल के क्षेत्र में भी देश ने उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं.

हालांकि उन्होंने चेतावनी दी कि इन उपलब्धियों का मतलब यह नहीं है कि देश अब चुनौतियों से मुक्त हो गया है. भागवत ने जोर देकर कहा कि अब हमें आवेश से मुक्त होकर आने वाली समस्याओं का समाधान ढूंढ़ना चाहिए और समझदारी से आगे बढ़ना चाहिए.

मोहन भागवत ने देश में शांति की आवश्यकता पर बल दिया: Mohan Bhagwat

मणिपुर की स्थिति पर बोलते हुए मोहन भागवत ने देश में शांति की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि मणिपुर पिछले एक साल से शांति की प्रतीक्षा कर रहा है जबकि इससे पहले के दस सालों में वहां पूर्ण शांति थी. भागवत ने चिंता जताई कि मणिपुर में पुरानी जनसंस्कृति खत्म होती दिख रही है और अचानक उपजी या उपजाई गई कलह अब भी जारी है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को प्राथमिकता देकर समाधान किया जाना चाहिए और इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए.

 

 

 

 

 

 

 

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