
Ripur: पूर्व मंत्री, झारखण्ड सरकार की समन्वय समिति के सदस्य एवं झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष Bandhu Tirkey ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर एस एस) ने केवल और केवल शब्दों के मायाजाल में आदिवासियों सहित सभी लोगों को फंसा रखा है और उसने सरसों के दाने के बराबर भी आदिवासियों के हित का ध्यान नहीं रखा, न ही आदिवासियों के लिये कोई काम ही किया. श्री तिर्की ने कहा कि भाजपा की विचारधारा आदिवासियों को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं है.
BJP और RSS के लोग आदिवासियों को अपने शब्दों के मायाजाल में फंसाने का काम करते हैं।
आदिवासियों को सिर्फ कांग्रेस पर भरोसा है, कांग्रेस के सिवा आदिवासियों का कोई भला नहीं कर सकता।
: @bandhu_tirkey जी#CongressSankalp2024 pic.twitter.com/yEHA6ZeWeC
— Jharkhand Congress (@INCJharkhand) February 26, 2023
भारत में अबतक आदिवासियों के उन्नयन और उनके सामाजिक -आर्थिक विकास का ध्यान सिर्फ कांग्रेस ने ही रखा है: Bandhu Tirkey
आज रायपुर में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के 85 वें राष्ट्रीय अधिवेशन में राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, के.सी.वेणुगोपाल, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित अन्य नेताओं की उपस्थिति में अपने संबोधन में श्री तिर्की ने कहा कि, कांग्रेस ने ही आदिवासियों के हित में पेसा कानून, जनजातियों के लिए उप योजना (ट्राइबल सब प्लान), वनाधिकार कानून आदि के साथ ही संविधान पांचवीं और छठी अनुसूची के प्रावधान सहित अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिये. उन्होंने कहा कि आदिवासियों की पुख्ता धार्मिक पहचान को हर हाल में बरकरार रखना और धार्मिक कोड सर्वप्रमुख मुद्दा है.
उन्होंने कहा कि अपने 8-9 वर्षो के शासनकाल में भारतीय जनता पार्टी ने केवल और केवल शब्दों के भ्रमजाल में आदिवासियों के साथ ही सभी को भरमाया है. उन्होंने कहा कि आदिवासी भोले-भाले होते हैं और वे इस तरीके के मकड़जाल में फंस जाते हैं लेकिन अब आदिवासी हकीकत समझ रहे हैं.
आदिवासी रेजिमेंट का गठन किया जाना चाहिये: Bandhu Tirkey
रायपुर कांग्रेस अधिवेशन में सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण से संबंधित महत्वपूर्ण प्रस्ताव प्रारूप समिति में शामिल Bandhu Tirkey ने कहा कि देश में विभिन्न जातियों और समुदायों की तरह ही आदिवासियों के नाम पर भी आदिवासी रेजिमेंट का गठन किया जाना चाहिये क्योंकि इससे देश का विशाल जनजातीय समुदाय भावनात्मक रूप से न केवल मजबूत होगा बल्कि इससे झारखण्ड के स्वतंत्रता सेनानियों और आजादी के बाद विभिन्न युद्ध में अपना सर्वोच्च बलिदान और योगदान करनेवाले आदिवासियों की ओर भी देश का ध्यान जायेगा और वह गौरवान्वित हो सकेगा.
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